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EXCLUSIVE: राज्य गठन के बाद पहली बार राज्य वित्त आयोग की रिर्पोट सदन में पेश, 2000 करोड़ अनुदान की उम्मीद जगी

Ravi Bharti Ranchi: राज्य पंचम वित्त आयोग ने अपनी रिर्पोट में शहरी स्थानीय निकाय और पंचायती राज संस्थाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए अपनी अनुशंसा की है. साथ ही राज्य सरकार के राजस्व में इन संस्थाओं की भागीदारी पांच फीसदी निर्धारित करने की अनुशंसा की है. राज्य गठन के बाद से सदन में पेश की जाने वाली राज्य वित्त आयोग की यह पहली रिर्पोट है. इस रिर्पोट के आभाव में 15वें वित्त आयोग ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में पंचायती राज संस्थाओं और शहरी निकायों को दी जाने वाली 2000 करोड़ रुपए के अनुदान को रोक दिया था.

फंड के बंटवारे का फॉर्मूला भी तय

राज्य पंचम वित्त आयोग ने राज्य के राजस्व स्त्रोतों से पंचायती राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों के बीच फंड के बंटवारे का अलग-अलग फॉर्मूला की अनुशंसा की है. इसके तहत सरकार द्वारा दी जाने वाली पांच फीसदी राशि का 60 फीसदी हिस्सा पंचायती राज संस्थाओं को और 40 फीसदी हिस्सा शहरी निकायों को देने की अनुशंसा की है. आयोग ने अपनी रिर्पोट में पंचायती राज संस्थाओं को फंड देने के लिए आबादी को 90 फीसदी और क्षेत्रफल को 10 फीसदी वेटेज देने की अनुशंसा की है. शहरी स्थानीय निकायों के लिए आबादी को 75 फीसदी और क्षेत्रफल को 25 फीसदी वेटेज देने की अनुशंसा की है. आयोग ने पंचायती राज संस्थाओं को दी जाने वाली कुल राशि को तीनों स्तर में बांटने का भी फॉर्मूला निर्धारित किया है. इसके तहत ग्रांमपंचायत को 70 फीसदी, पंचायत समिति को 15 फीसदी और जिला परिषद को 15 फीसदी राशि देने का प्रावधान किया गया है. आयोग की यह अनुशंसा दो वित्तीय वर्ष(2024-25 और 2025-26) के लिए प्रभावी होगा. राज्य पंचम वित्त आयोग की रिर्पोट पहली बार विधानसभा में पेश हुई. चौथे पंचम वित्त आयोग में राज्य सरकार ने अध्यक्ष की नियुक्ति ही नहीं की थी. पहले, दूसरे और तीसरे वित्त आयोग के कार्यकाल में सिर्फ पहले राज्य वित्त आयोग ने अपनी एक आंशिक रिर्पोट सरकार को सौंपी थी, लेकिन उसे सदन में पेश नहीं किया गया था.

राजस्व बढ़ाने के लिए राज्य वित्त आयोग की प्रमुख अनुशंसा

• पंचम वित्त आयोग ने स्थानीय निकायों के राजस्व स्त्रोतों को बढ़ाने के लिए की गई अनुशंसा में कॉमर्शिय़ल प्रोप्रर्टी टैक्स का मूल्यांकन करने और प्रोप्रर्टी टैक्स वसूलने की अनुशंसा की है. इसके अलावा सीएसआर और डोनेशन के सहारे भी शहरी निकायों को अपना राजस्व बढ़ाने का सुझाव दिया है. • बीसीसीएल धनबाद नगर निगम के क्षेत्र के एक बड़े हिस्से में स्थापित है, लेकिन उसने अपनी संपत्ति कर के मूल्यांकन में हिस्सा नहीं लिया है. इसलिए नगर निगम को सक्रियता बरतते हुए उसका मूल्यांकन कर संपत्ति कर वसूलना चाहिए. इससे नगर निगम का राजस्व दोगुना हो जाएगा. • विशेष अभियान चलाकर प्रोपर्टी टैक्स लेने के लिए शत-प्रतिशत कॉमर्शियल प्रोपर्टी का जीआइएस मैपिंग करना चाहिए. • प्रोप्रर्टी टैक्स के गणणा का आधार संपत्ति के मूल्य के आधार पर होना चाहिए. • राज्य सरकार द्वारा स्थानीय निकायों और पंचायती राज संस्थाओं को दिए जाने वाले प्रति व्यक्ति धन को बढ़ाने की अनुशंसा की है. राज्य सरकार फिलहाल प्रति व्यक्ति 527.8 रुपए की दर से धन का आवंटन करती है. दूसरे राज्यों में यहब राशि 1179.63 रुपए प्रति व्यक्ति है. राज्य सरकार को अपना धन आबंटन बढ़ाना चाहिए ताकि पंचाय़ती राज और शहरी निकाय आर्थिक रूप से सशक्त हो सके. इसे भी पढ़ें – राज्यसभा">https://lagatar.in/rajya-sabha-chairman-dismissed-the-notice-of-breach-of-privilege-against-amit-shah/">राज्यसभा

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