Ranchi: उद्योग सचिव अरवा राजकमल ने झारखंड में विदेशी निवेश की कमी के कारण बताए. कहा कि झारखंड में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. वर्ष 2019-2024 की अवधि में झारखंड ने विदेशी निवेश आकर्षित करने में भारत में 8वां स्थान प्राप्त किया.
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विदेशी निवेश के कमी के कारण गिनाए
– कम निवेश प्रवाह: वित्तीय वर्ष 2016-17, 2017-18 और 2018-19 में झारखंड में विदेशी का प्रवाह बहुत कम था.
– अन्य राज्यों की तुलना में कम: महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात जैसे राज्यों ने विदेशी निवेश में अच्छा प्रदर्शन किया है, जबकि झारखंड की हिस्सेदारी बहुत कम है.
– निवेश को बढ़ावा देने में कमी: झारखंड ने लगभग 9 वर्षों से वैश्विक मंच पर निवेश से संबंधित कोई बड़ा कार्यक्रम आयोजित नहीं किया है.
झारखंड के लिए भविष्य की जरूरतें
– सतत प्रौद्योगिकियों में निवेश: झारखंड को सतत प्रौद्योगिकियों में निवेश और भागीदारी को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाने की जरूरत है.
– नवीकरणीय ऊर्जा और हरित उद्योग: झारखंड को नवीकरणीय ऊर्जा, सतत खनन, हरित उद्योग, ई-मोबिलिटी और उन्नत खाद्य प्रसंस्करण जैसे क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देने की जरूरत है.
भारत और स्पेन के बीच मजबूत आर्थिक संबंध
उद्योग सचिव ने कहा कि भारत और स्पेन के बीच आर्थिक संबंध मजबूत हो रहे हैं. स्पेन भारत में सबसे बड़े निवेशकों में से एक है, जिसका वर्ष 2000 से 2024 तक संचयी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश स्टॉक 4.28 बिलियन अमेरिकी डॉलर था.
स्पेन की मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र
– नवीकरणीय ऊर्जा: स्पेन नवीकरणीय ऊर्जा में मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करता है, जिसमें वर्ष 2024 तक 56% से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी है.
– धातुकर्म और खदान सुधार: स्पेन धातुकर्म और खदान सुधार में भी मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करता है, जो झारखंड के लिए उपयोगी हो सकता है.
झारखंड के लिए अवसर
– नवीकरणीय ऊर्जा और धातुकर्म: झारखंड स्पेन के अनुभव से नवीकरणीय ऊर्जा और धातुकर्म में लाभ उठा सकता है.
– खेल अवसरचना और व्यापार केंद्र: झारखंड सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से विश्व स्तरीय खेल अवसरचना विकसित करने में स्पेन के अनुभव का लाभ उठा सकता है और अपने स्वयं के व्यापार और सम्मेलन केंद्र बना सकता है.
स्पेनिश कंपनियों की उपस्थिति : भारत में 280 से अधिक स्पेनिश कंपनियां कार्यरत हैं, जो मुख्य रूप से धातुकर्म उद्योग, नवीकरणीय ऊर्जा, ऑटोमोटिव, सिरेमिक और बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में हैं.
– 8.78 बिलियन अमेरिकी डॉलर: वर्ष 2024 में भारत और स्पेन के बीच वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार 8.78 बिलियन अमेरिकी डॉलर की हुई, जो पिछले वर्ष से 6.30% की बढ़ोतरी हुई है.
झारखंड और स्वीडन के बीच सहयोग
उद्योग सचिव ने बताया कि झारखंड और स्वीडन के बीच सहयोग से राज्य के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है. स्वीडन के अनुभव से झारखंड को इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र, ग्रीन स्टील और स्वचालित खनन में लाभ उठाने का अवसर मिल सकता है.
स्वीडेन की विशेषज्ञता
– इलेक्ट्रिक वाहन: स्वीडन में इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में उत्कृष्टता है, जिसमें वोल्यो, स्कैनिया और पोलस्टार जैसी कंपनियां सक्रिय हैं.
– ग्रीन स्टील: स्वीडन ग्रीन स्टील में अग्रणी है, जो झारखंड के उद्योगों के लिए एक उदाहरण हो सकती है.
भारत में स्वीडिश कंपनियां
– 300 से अधिक स्वीडिश कंपनियां: भारत में लगभग 300 स्वीडिश कंपनियां कार्यरत हैं, जो 2,00,000 लोगों को प्रत्यक्ष रूप से और 22,00,000 लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान कर रहा है.
– प्रमुख उद्योग: स्वीडिश कंपनियां रक्षा, इंजीनियरिंग उत्पाद, ऑटोमोटिव, फैशन और लाइफस्टाइल, स्वास्थ्य सेवा, आईटी और सेवा क्षेत्र में सक्रिय हैं.
– सतत विकास और आत्मनिर्भर भारत: इस रणनीतिक यात्रा का उद्देश्य सतत विकास और आत्मनिर्भर भारत में योगदान करना है.
– विदेशी निवेश, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और संयुक्त उद्यम: इस यात्रा से FDI, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और संयुक्त उद्यमों को आकर्षित करने की संभावना है, जिससे राज्य के आर्थिक विकास में तेजी आएगी.
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