Rehan Ahmed
Ranchi : हरमू हामीम मस्जिद के इमाम मौलाना अब्दुल माजिद ने कहा कि जकात हर सहाब ए नेसाब (दौलतमंद) पर साल में एक बार फर्ज है. हर शख्स को जकात का एक माह तय करना चाहिए कि हम सहाब ए नेसाब कब हुए. आम तौर पर लोग रमजान में ही जकात निकालते हैं. रमजान में लोग जकात इस लिये निकालते हैं कि इसका सवाब 70 गुना ज्यादा बढ़ जाता है. जिन्हें याद नहीं हो कि हम मालदार कब हुए, तो उस शख्स के लिये किसी एक माह का तय करना चाहिए. यदि हम रमजान के माह को मान रहे हैं, तो कुछ ज्यादा जकात निकाले, और जकात को हिसाब से निकालें. अंदाजे से नहीं निकाले, कम होने पर गुनाह में शरीक होंगे.
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जकात इस्लाम के बुनियाद में से एक अहम हिस्सा
जकात इस्लाम के बुनियाद में से एक अहम हिस्सा है. जैसे नमाज है. नमाज फर्ज है, वैसे ही जकात भी मालदारों पर फर्ज (जरूरी) है. इसका नेसाब यह है कि साढ़े 52 तोला चांदी जिसका मौजूदा वजन 612 ग्राम है, सात तोला सोना मौजूदा वजन 87.5 ग्राम है. इस आधार पर निकालना है. इस माल पर साल का गुजरना भी शर्त है.
जकात नहीं निकालने वालों पर सख्त अजाब
जो जकात अदा नहीं करें, या हिसाब कर नहीं निकालें तो कुरआन पाक में सख्त वईद है कि कल कयामत के दिन उसके माल को गंजा सांप बना कर उस पर सवार कर दिया जायेगा. यह तो आखेरत का आजाब है, दुनिया में उसके माल में से अल्लाह बरकत उठा लेते हैं.
किन-किन चीजों पर जकात वाजिब
सोना, चांदी, तेजारत (व्यापार) के माल, वह जमीन जिसे बेचने की नीयत से खरीदा गया हो, उस पर जकात वाजिब है. घर, मकान, गाड़ी दुकान इन पर जकात नहीं निकालना है. शेयर मार्केट के हलाल कारोबार में जकात वाजिब है. पूरे माल का ढ़ाई फीसदी जकात निकालना है.
कारखाने की किन चीजों पर जकात
आप फैक्टरी के मालिक हैं, तो फैक्टरी में तैयार किया हुआ माल है, उसकी कीमत पर जकात वाजिब है. इसी तरह तैयारी के अलग-अलग किस्म है, जिस चीज से सामान तैयार होता है, उस पर भी जकात वाजिब है. अलबत्ता फैक्टरी की मशीनों, गाड़ियों इन सब पर जकात वाजिब नहीं है.
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