Koderma : कोडरमा मुख्यालय के नजदीक फुलवरिया के जंगल में अवैध रूप से संचालित माइका खदान में गुरुवार को चाल धंसने से उसमें दबे चार लोगों के शव को शुक्रवार को निकाल लिया गया. बचाव कार्य दूसरे दिन भी जारी रहा. पोकलेन एवं ड्रिल मशीन की सहायता से काफी मशक्कत के बाद शवों को निकाला गया. मरने वालों में कौशल्या देवी नाम की एक महिला भी शामिल है.
हादसे में बचे दो लोगों का इलाज जारी
तीन अन्य मृतकों की पहचान महेंद्र दास, चंदर दास और लखन दास के रूप में हुई है. सभी मृतक पुरनाडीह, कोडरमा के बताए जाते हैं. इस हादसे में बचे दो लोगों को ग्रामीणों की मदद से मलबे से निकाला गया था. उनका उपचार निजी अस्पताल में जारी है. दो लोगों (राजेश घटवार और संजय घटवार) को ग्रामीणों ने गुरुवार की शाम को हादसे के तुरंत बाद निकाल लिया था. घटनास्थल पर हजारीबाग के वाइल्ड लाइफ डीएफओ अविनाश कुमार चौधरी ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया. उन्होंने कहा कि इस अवैध खनन में शामिल लोगों पर सुसंगत धाराओं के तहत कारवाई की जाएगी. साथ ही आगे इस तरह की अप्रिय घटना न हो, इसको लेकर भी कार्रवाई की जाएगी. कोडरमा के एसपी एहतेशाम वकारीब ने कहा कि अवैध खनन पर पूरी तरह से शिकंजा कसा जाएगा. एसपी ने कहा कि पुलिस लगातार अभियान चलाकर माइका के अवैध उत्खनन और ट्रांसपोर्टेशन पर अंकुश लगाने का काम कर रही है. इस अभियान को और भी तेज किया जाएगा.
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हादसा प्रशासन के लिए बनी बड़ी चुनौती
बहरहाल, जिले में खदान दुर्घटना में हुई चार लोगों की मौत ने न सिर्फ प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है, बल्कि वर्षों से चल रहे इस गोरखधंधे के फलने-फूलने को लेकर भी एक सवालिया निशान लगा दिया है. गौरतलब है कि फौरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट, 1980 ने झारखंड में माइका के उत्खनन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है लेकिन ग्रामीण जान-जोखिम में ड़ालकर इस धंधे में लगे हुए हैं. कई हादसों की शिकायत पुलिस तक नही पंहुचती है, पीड़ित परिवार धंधा बंद होने की डर से शिकायत भी नहीं करते हैं. अवैध रूप से संचालित माइका माइंस न सिर्फ जीवन के लिये खतरा है, बल्कि इससे पर्यावरण को भी बहुत नुकसान हो रहा है.