Ranchi: ख्रिस्त विश्वासियों का चालीसा काल ईसाई समुदाय में एक महत्वपूर्ण समय होता है, जो ईसा मसीह के पुनरुत्थान के बाद शुरू होता है. यह अवधि 40 दिनों तक चलेगी, जिसमें ईसाई समुदाय ईसा मसीह के जीवन, मृत्यु और पुनरुत्थान की याद में प्रार्थना, उपवास और धार्मिक अनुष्ठान करेगा. रांची के कैथोलिक चर्च, सीएनआई चर्च और जीईएल चर्च में अपने-अपने नियमों के अनुसार ईसा मसीह को याद किया जाएगा.
चर्च में विनती, बाइबिल अध्ययन और अन्य धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होंगे. इस दौरान प्रत्येक शुक्रवार को यीशु मसीह की चौदह घटनाओं का धर्म बहनों को बताया जाएगा. चालीसा काल में दान और सेवा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, और गरीबों तथा जरूरतमंदों की मदद की जाएगी.
बिशप हाउस के सेक्रेटरी असीम मिंज ने बताया कि पांच मार्च से चालीसा काल शुरू होगा. इस दिन खजूर के पत्तों को जलाकर राख बनाई जाएगी, जिसे सभी विश्वासी अपने माथे पर लगाएंगे. चालीसा काल 40 दिनों तक चलेगा, जिसमें पश्चाताप और पापों का पछतावा किया जाएगा. उपवास और दान पर जोर दिया जाएगा. ख्रिस्त विश्वासियों को याद दिलाया जाएगा कि सभी मनुष्य ईश्वर द्वारा धरती पर बुलाए गए हैं और अंत में वे ईश्वर के पास जाएंगे. इस दौरान यह भी स्मरण कराया जाएगा कि माथे पर राख लगाने से जीवन को ईश्वर को समर्पित किया जाता है, और एक-दूसरे के प्रति सहानुभूति, प्यार और सहायता की भावना व्यक्त की जाती है.
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प्रत्येक रविवार को छोड़ दिया जाता है
चालीसा काल 46 दिनों का होता है. लेकिन इसमें से छह रविवारों को गिना नहीं जाता, जिससे वास्तविक चालीसा काल 40 दिनों का होता है. रविवार को ईसाई समुदाय विशेष दिन मानते हैं, क्योंकि इस दिन यीशु मसीह का पुनरुत्थान हुआ था और यह महिमा का दिन होता है. इस दिन को सकारात्मक रूप से जोड़कर ईश्वर की महिमा की जाती है और जीवन व्यतीत किया जाता है.
फादर असीम मिंज ने बताया कि रोम से पोप का एक पास्टर पत्र जारी होता है, जिसे सभी धर्माध्यक्षों को पढ़कर सुनाया जाता है और यह पत्र सभी बिशपों को भेजा जाता है.
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