शराब घोटाले के आरोपी गजेंद्र सिंह दस साल से जमे हैं रांची में, इनके लिए सृजित हुआ था एकल पद
Vinit Abha Upadhyay
Ranchi : छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से जुड़े केस में केंद्रीय जांच एजेंसी इन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) ने मंगलवार को रांची और छत्तीसगढ़ समेत कई जगहों पर छापेमारी की थी. एजेंसी ने रांची में वरीय आईएएस अधिकारी विनय चौबे, उत्पाद विभाग के संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह और व्यापारी विनय सिंह समेत शिपिज त्रिवेदी, सीएस उपेंद्र शर्मा और शराब कारोबारी उमाशंकर सिंह के ठिकानों की तलाशी ली थी. इस रेड के बाद करीब दस वर्षों से रांची में ही जमे उत्पाद विभाग के संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह की चर्चा होने लगी है. गजेंद्र सिंह की नियुक्ति करीब दस वर्ष पूर्व रांची में प्रभारी उपायुक्त उत्पाद के पद पर हुई थी. तब से लेकर अब तक वह रांची में ही जमे हुए हैं. हालांकि इन दस वर्षों में उत्पाद विभाग में कई सचिव आये और गये. रांची में कई उत्पाद उपायुक्त आये और उनका भी अलग-अलग जिलों में तबादला हो गया. लेकिन गजेंद्र सिंह की हनक और उनका जुगाड़ ऐसा है कि किसी ने उन्हें रांची से दूर करने की हिमाकत नहीं की. शायद यही वजह थी कि प्रभारी उपायुक्त के बाद उन्हें रांची का उत्पाद आयुक्त भी बनाया गया. उसके बाद उत्पाद विभाग ने कोरोना काल में एकल पद सृजित कर गजेंद्र सिंह को उत्पाद विभाग का संयुक्त आयुक्त बना दिया. छत्तीसगढ़ से जुड़े शराब घोटाले में गजेंद्र सिंह नामजद आरोपी हैं. गजेंद्र सिंह अपनी अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गुहार लगा चुके हैं. लेकिन उन्हें किसी भी कोर्ट से अब तक राहत नहीं मिली है. जानकारी के मुताबिक, मंगलवार को छापेमारी के दौरान एजेंसी ने उनके ठिकानों से कई दस्तावेज और अन्य डिजिटल उपकरण जब्त किये हैं.
जानें क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला
जिस छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की जांच ED कर रही है, उसकी अब तक हुई पड़ताल में एजेंसी ने पाया है कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल के दौरान आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी अरुणपति त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के अवैध सिंडिकेट के जरिये घोटाला हुआ. साल 2019 से 2022 तक सरकारी शराब की दुकानों से अवैध शराब को डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर बेचा गया, जिससे सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है.