Shubham Kishore
अखबारों में हेडिंग है, बाजार में रौनक, खूब हुई बिक्री, बाजार में धनाधन. और आपने यह मान भी लिया. सब चंगे हैं. बागों में बहार है. पर, क्या यह सच है. नहीं. अखबारों ने खबर के नाम पर आपको अंधेरे में रखा. बाजार का टूल बनकर वाह-वाह बताया और कहा. यह सच को छुपाने वाली खबरें हैं. सच तो यह है कि बाजार की स्थिति निराशाजनक है. दीपावली के पहले एक सप्ताह में बाजार में पिछले साल के मुकाबले वाहन कम बिके. फ्लैट कम बिके. जमीन की रजिस्ट्री भी कम हुई और सरकार की आमदनी भी कम हुई.
सच जानने के लिए हमने रांची डीटीओ कार्यालय और रजिस्ट्री कार्यालय में जाकर जानकारी जुटायी. पता चला कि एक सप्ताह पहले से लेकर धनतेरस की रात तक (22-29 अक्टूबर के बीच) सिर्फ 5883 वाहनों की रजिस्ट्री हुई. इसमें 4404 दो पहिया वाहन और 1406 चार पहिया वाहन और 286 अन्य वाहन शामिल है. अगर बात 2023 के धनतेरस की करें, तो कुल 7590 वाहनों की रजिस्ट्री हुई थी. इस तरह पिछले साल के मुकाबले इस साल 1707 वाहन कम बिके. यह हाल तब है, जब इस साल वाहन विक्रेताओं ने ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए बड़ी छूट भी दी.
बात जमीन व फ्लैट की खरीद-बिक्री की करें, तो पिछले साल के मुकाबले इस साल धनतेरस के दिन जमीन व फ्लैट की रजिस्ट्री भी कम हुए हैं. वर्ष 2023 में धनतेरस के दिन कुल 657 रजिस्ट्री हुए थे, जबकि इस साल सिर्फ 590 रजिस्ट्री ही हुए. इस तरह कुल 67 कम रजिस्ट्री हुआ.
इन सबके बाद भी आपको यह बताया जा रहा है कि बाजार गुलजार है. लोग खरीददारी करने के लिए बड़ी संख्या में घर से निकले. सच तो यह है कि घर से जरुर निकले, पर उनकी जेब में बहुत कम रकम थे. हजार-दो हजार के सामान लेकर लोग घर लौटे. लेकिन बुधवार को आपके घर पहुंचे अखबारों को देखें, तो ऐसा लगेगा कि सब खुश हैं. सिवाय उनके जो अखबारों को पढ़ रहा है और टीवी को देख रहा है.
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