Ranchi: सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा एनटीपीसी पर नियमों का उल्लंघन करने और आदिम जनजाति बिरहोर समुदाय की सामूहिक जान को खतरे में डालकर खनन करने एवं इस दौरान दो लोगों की मौत की शिकायत करने के बाद, राज्य खान निदेशक ने जिला खनन अधिकारी को मामले की जांच कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया.
सामाजिक कार्यकर्ता ने मुख्य सचिव और खान निदेशक को एक आवेदन के माध्यम से सूचित किया कि एनटीपीसी नियमों का उल्लंघन कर खनन गतिविधियों में लिप्त है, जिससे आदिम जनजाति बिरहोर और हाथियों के लिए समस्या उत्पन्न हो गई है. हाथियों और अन्य वन्य जीवों के कॉरिडोर पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ रहा है.
एनटीपीसी की परियोजनाओं को कंवेयर सिस्टम से कोयला ट्रांसपोर्ट करने के लिए भारत सरकार ने जरूरी शर्तें दी थीं. लेकिन एनटीपीसी शर्तों के खिलाफ सड़क मार्ग से कोयला परिवहन कर रही है, जिससे आम जनजीवन और वन्य जीवों पर गंभीर खतरा पैदा हो गया है. इससे वन्य जीवों का संतुलन गड़बड़ा गया है. यह क्षेत्र विलुप्तप्राय और अति संरक्षित वन्य जीवों का घर है, जिनके लिए यह खतरे की घंटी है.
सामाजिक कार्यकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि एनटीपीसी ने एफसी (फॉरेस्ट क्लीयरेंस) की शर्तों को छुपाकर और ईसी (एंवायरनमेंटल क्लीयरेंस) की शर्तों में संशोधन करा कर, सुप्रीम कोर्ट से आदेश लेकर 31 दिसंबर 2024 तक सड़क मार्ग से कोयला ट्रांसपोर्ट किया.
अब एनटीपीसी बिना सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के ईसी की शर्तों में और संशोधन कर रेलवे ट्रैक के नाम पर इस कंडीशन का उल्लंघन कर रही है, जिससे वन्य जीवों पर संकट बढ़ रहा है.
एनटीपीसी पर आरोप है कि उसने मंत्रालय में तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया है और गुमराह किया है. सवाल उठाया गया है कि जब तक रेलवे ट्रैक नहीं बना है, तब तक सड़कों से कोयला परिवहन क्यों किया जा रहा है? खनन-वन विभाग इसे चालान क्यों नहीं दे रहा है?
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