Kolkata : कलकाता उच्च न्यायालय द्वारा नारद स्टिंग टेप मामले में हलफनामा दायर करने की इजाजत नहीं दिये जाने को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. खबर है कि सीबीआई द्वारा 17 मई को टीएमसी के चार नेताओं की गिरफ्तारी के दिन अपनी और प्रदेश के कानून मंत्री मलय घटक की भूमिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज मंगलवार को सुनवाई होगी. जस्टिस हेमंत गुप्ता और अनिरुद्ध बोस की बेंच सुनवाई करेगी.
पांच न्यायाधीशों की पीठ ने नौ जून को सुनवाई की थी
बता दें कि नारद स्टिंग टेप मामले की सुनवाई विशेष सीबीआई अदालत से उच्च न्यायालय स्थानांतरित करने संबंधी सीबीआई की याचिका पर सुनवाई करते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की पीठ ने नौ जून को सुनवाई की थी. इस क्रम में पीठ ने कहा था कि वह इस मामले में चार नेताओं की गिरफ्तारी के दिन बनर्जी और घटक की भूमिका को लेकर उनके द्वारा दायर हलफनामे पर विचार करने के बारे में बाद में फैसला करेगी.
मलय घटक और राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ताओं राकेश द्विवेदी और विकास सिंह ने कहा था कि उच्च न्यायालय के रिकॉर्ड में हलफनामों का लाया जाना जरूरी है क्योंकि वे 17 मई को संबंधित व्यक्तियों की भूमिका के बारे में हैं. द्विवेदी ने कहा कि कानून मंत्री मंत्रिमंडल की बैठक में हिस्सा ले रहे थे और सुनवाई के वक्त अदालत परिसर में नहीं थे.
इसे भी पढ़ें : PM मोदी 25 जून को करेंगे लाइट हाउस प्रोजेक्ट की समीक्षा, दिल्ली से आई टीम, टेस्ट रन शुरू
सीबीआई अधिकारी भी मौके पर नहीं थे
उन्होंने कहा कि सीबीआई अधिकारी भी मौके पर नहीं थे, क्योंकि एजेंसी के वकील डिजिटल रूप से अदालत से संवाद कर रहे थे. यह आरोप लगाया गया था कि राज्य के सत्ताधारी दल के नेताओं ने मामले में 17 मई को चार नेताओं की गिरफ्तारी के बाद सीबीआई को उसके विधिक दायित्वों के निर्वहन से रोकने में अहम भूमिका निभाई. श्री सिंह ने दलील दी कि नियमों के अनुसार हलफनामा दायर करने का अधिकार है. कहा कि सीबीआई ने तीन हलफनामे दायर किये हैं और अदालत की इजाजत नहीं ली थी.
विलंब के आधार पर हलफनामों को स्वीकार नहीं किया जा सकता
इस पर सॉलिसिटर जनरल ने उच्च न्यायालय से अनुरोध किया था कि विलंब के आधार पर हलफनामों को स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि उन्हें उनकी जिरह पूरी होने के बाद दायर किया गया है. नारद स्टिंग टेप मामले की सुनवाई विशेष सीबीआई अदालत से हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने का अनुरोध कर रही सीबीआई ने वहां अपनी याचिका में मुख्यमंत्री और कानून मंत्री को भी पक्ष बनाया है. एजेंसी ने दावा किया था कि चार नेताओं की गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री कोलकाता में सीबीआई कार्यालय में धरने पर बैठ गयी थीं, जबकि 17 मई को विशेष सीबीआई अदालत में डिजिटल माध्यम से मामले की सुनवाई के दौरान घटक अदालत परिसर में मौजूद थे.
[wpse_comments_template]