पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने आज गुरुवार को यह दावा भी किया कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार संविधान को पूरी तरह से नष्ट करना चाहती है.
New Delhi : कांग्रेस ने देश में एक साथ चुनाव कराये जाने से संबंधित समिति की रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपे जाने के बाद आरोप लगाया कि सरकार का मकसद सिर्फ वन नेशन, नो इलेक्शन (एक राष्ट्र, कोई चुनाव नहीं) का है. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने आज गुरुवार को यह दावा भी किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार संविधान को पूरी तरह से नष्ट करना चाहती है. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
VIDEO | Here’s what Congress leader Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) said on the high-level committee headed by former President Ram Nath Kovind submitting its report to President Droupadi Murmu on the feasibility of holding simultaneous polls for Lok Sabha, state assemblies and… pic.twitter.com/i4XfyMXH2C
— Press Trust of India (@PTI_News) March 14, 2024
एक साथ चुनाव कराये जाने से सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा मिलेगा
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली एक उच्च-स्तरीय समिति ने पहले कदम के तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की तथा इसके बाद 100 दिनों के भीतर एक साथ स्थानीय निकाय चुनाव कराने की गुरुवार को सिफारिश की. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी गयी 18,000 से ज्यादा पन्नों की रिपोर्ट में कोविंद की अगुवाई वाली समिति ने कहा है कि एक साथ चुनाव कराये जाने से विकास प्रक्रिया और सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा मिलेगा, लोकतांत्रिक परंपरा की नींव गहरी होगी और इंडिया, जो कि भारत है..की आकांक्षाओं को साकार करने में मदद मिलेगी.
सरकार का मकसद एक राष्ट्र, कोई चुनाव नहीं है
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने नासिक में पीटीआई वीडियो से कहा, प्रधानमंत्री का उद्देश्य बहुत स्पष्ट है. वह, स्पष्ट बहुमत, दो-तिहाई बहुमत, 400 सीट की मांग कर रहे हैं… वे बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा तैयार किये गये संविधान को पूरी तरह से नष्ट करना चाहते हैं. रमेश ने आरोप लगाया कि सरकार का मकसद एक राष्ट्र, कोई चुनाव नहीं है. इस मामले में भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा कि यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है और इसका उद्देश्य धन और अन्य संसाधनों को बचाना है.
32 राजनीतिक दल समर्थन में, 15 दल विरोध में
रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने एक राष्ट्र, एक चुनाव के मुद्दे पर 62 पार्टियों से संपर्क किया था और इस पर जवाब देने वाले 47 राजनीतिक दलों में से 32 ने एक साथ चुनाव कराने के विचार का समर्थन किया, जबकि 15 दलों ने इसका विरोध किया. राष्ट्रीय दलों में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने देश में एक साथ चुनाव कराने के प्रस्ताव का विरोध किया, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने इसका समर्थन किया.
क्षेत्रीय पार्टियों में ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ), तृणमूल कांग्रेस, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), द्रमुक, नागा पीपुल्स फ्रंट और समाजवादी पार्टी ने एक साथ चुनाव कराने के प्रस्ताव का विरोध किया.
अन्नाद्रमुक, ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन समर्थन में
अन्नाद्रमुक, ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन, अपना दल (सोनेलाल), असम गण परिषद, बीजू जनता दल, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), मिजो नेशनल फ्रंट, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, शिव सेना, जनता दल (यूनाइटेड), सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, शिरोमणि अकाली दल और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल ने प्रस्ताव का समर्थन किया.
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार) विरोध में
भारत राष्ट्र समिति, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, जम्मू- कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस, जनता दल (सेक्युलर), झारखंड मुक्ति मोर्चा, केरल कांग्रेस (एम), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार), राष्ट्रीय जनता दल, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट, तेलुगु देसम पार्टी और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. अन्य दलों में भाकपा (माले) लिबरेशन, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया ने इसका विरोध किया। राष्ट्रीय लोक जनता दल, भारतीय समाज पार्टी, गोरखा नेशनल लिबरल फ्रंट, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार) भी विरोध करने वाले राजनीतिक दलों में शामिल हैं.
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