Virendra rawat
Ranchi : कोरोना के कारण झारखंड में लगभग दो साल तक स्कूल बंद रहे हैं. अब धीरे – धीरे स्कूलों की पढ़ाई ऑफलाइन हो रही है. हालांकि कई जगहों पर अभी भी CBSC स्कूलों में कक्षा 1 से लेकर 6 तक के विद्यार्थी स्कूल नहीं जा रहे हैं. उनकी कक्षाएं अब भी ऑनलाइन जारी हैं. लेकिन राज्य़ के सभी सरकारी स्कूल कक्षा 1 से उपर खुल चुकी है. सरकारी स्कूलों में पढ़ाई ऑफलाइन हो गयी है.
इस बीच सबसे अधिक बड़ी चुनौती विद्यार्थियों में समझ को लेकर देखने को मिल रही है. विद्यार्थियों की समझ ऑनलाइन कक्षा से कम हो गई है. शिक्षकों ने कहा कि अभिभावकों की मांग है कि उम्र के अनुसार विद्यार्थियों को अगली कक्षा में प्रमोट कर दी जाए. लेकिन जब विद्यार्थियों से प्री -टेस्ट ली जा रही है तो प्री -टेस्ट में भी विद्यार्थी फेल हो रहे हैं. इसके अलावा विद्यार्थियों में लिखने की क्षमता भी तेजी से कम हुई है.
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विद्यार्थी पहले की तरह लिख नहीं पा रहे
एच एम पब्लिक स्कूल चुटिया के प्राचार्य अरविंद कुमार ने बताया कि विद्यार्थी पहले की तरह लिख नहीं पा रहे है. पहली कक्षा से लेकर छठी कक्षा के विद्यार्थी लिखना भी भूल चुके है. जबकि छठी कक्षा से लेकर बारहवीं कक्षा के विद्यार्थियों में लिखने की गति काफी धीमी हो गई है. इसके अलावा स्पेलिंग मिस्टेक काफी देखने को मिल रहा है.
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शिक्षकों ने क्या कहा सुनिये

शिक्षक वासुदेव सिंघा ने बताया कि लॉकडाउन के कारण सारे शैक्षणिक संस्थान लगभग दो सालों तक बंद रहे. जिसे शिक्षण-प्रक्रिया बाधित हुई. ज्ञान के निर्बाध प्रसार को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से विद्यालय से लेकर विश्वविद्यालय तक समस्त शैक्षणिक संस्थानों को वैकल्पिक शैक्षणिक ऑनलाइन माध्यम अपनाना पड़ा है. इसमें डिजिटल लर्निंग, ई-लर्निंग ने अहम भूमिका निभाई.
मोबाइल से पढ़ाई कम, गेम खेलते रहे बच्चे

शिक्षक रवि गोप ने बताया कि पढ़ाई बाधित न हो इसलिए घरों में ही ऑनलाइन पढ़ाई का काम शुरू किया गया, लेकिन यह कारगर नहीं हुआ. बच्चे पढ़ाई कम और मोबाइल में गेम खेलने को अधिक प्राथमिकता देते रहे. लंबे समय तक स्कूल बंद होने के चलते बच्चों को भौतिक पठन-पाठन से नहीं जोड़ा जा सका, जिसकी वजह से उनकी समझने और लिखने की क्षमता में कमी आयी है.
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सुविधाओं का भी अभाव

शिक्षक दीपा चौधरी ने बताया कि सुविधाओं के अभाव में कई बच्चे पढ़ाई से वंचित रह गए. ग्रामीण क्षेत्रों में कई बच्चों के पास स्मार्टफोन न होने से काफी दिक्कतें हुईं. कुछ परिवार तो ऐसे भी रहे, जिनके पास जो रोजगार था, वह भी छूट गया. घर का खर्च चलाने के साथ ही बच्चों की पढ़ाई बड़ी चुनौती थी. कुछ घर तो ऐसे भी रहे, जहां केवल एक ही स्मार्ट फोन थे, ऐसे में बच्चों की पढ़ाई पूरी नहीं हो पा रही थी.
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