हेमंत सोरेन के पत्र में ही उनका उत्तर समाहित : हिमंता बिस्व सरमा
Ranchi : असम के मुख्यमंत्री सह झारखंड भाजपा के चुनाव सह प्रभारी हिमंता बिस्व सरमा ने कहा कि विधानसभा चुनाव में आजसू पार्टी, जदयू और भाजपा के साथ गठबंधन होगा. 99% सीटों पर फैसला हो चुका है. कुछ सीटों की ही चर्चा बाकी है. पितृ पक्ष समाप्त होते ही गठबंधन की घोषणा कर दी जायेगी.
कल्पना सोरेन झारखंड के किसी आदिवासी आरक्षित सीट से चुनाव क्यों नहीं लड़ीं.
हिमंता बिस्व सरमा ने हेमंत सोरेन के पत्र के संदर्भ में पूछे जाने पर कहा कि मैं जवाब मैं दूंगा. हालांकि जवाब वे खुद जानते हैं. लेकिन सोरेन को यह बताना चाहिए कि उनकी पत्नी कल्पना सोरेन झारखंड के किसी आदिवासी के लिए आरक्षित सीट से चुनाव क्यों नहीं लड़ीं. उत्तर उनके घर में ही है. यह उत्तर हमें देने की जरूरत नहीं है. घर में ही प्रतिदिन उन्हें उत्तर मिल रहा है. इसके बाद भी उन्होंने लिखित जवाब मांगा है, तो समय मिलते ही उन्हें मैं जवाब दूंगा.
झारखण्ड में NDA परिवार के सारे मित्र दल, JD(U) और AJSU, एक साथ चुनाव लड़ेंगे। पितृपक्ष के बाद सीटों का खुलासा करेंगे।@BJP4Jharkhand @Jduonline @ajsupartyjh pic.twitter.com/2zvxp1sKtD
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) September 28, 2024
घुसपैठियों पर मंत्री इरफान को सोचना चाहिए
हिमंता ने कहा कि झारखंड हाई कोर्ट की टिप्पणी है कि राज्य को घुसपैठियों ने हाईजैक कर रखा है. मंत्री इरफान अंसारी को इस बारे में सोचना चाहिए. उन्होंने कहा कि उत्पाद सिपाही नियुक्ति मामले में जांच का दायित्व राज्य सरकार का है. अगर उन्हें लगता है कि उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए, तो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस मामले में झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख सकते हैं. अगर वे ऐसा करते हैं तो भारतीय जनता पार्टी उसका स्वागत करेगी.
चुनाव के महीने में मंईंया सम्मान योजना वोटरों को चारा डालने की कोशिशः बाबूलाल
पलामू में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि नवंबर-दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में झारखंड में सरकार बदलनी है. उन्होंने लोगों से अपील की कि लोग संकल्प लेकर जाएं और परिवर्तन के लिए लग जायें. राज्य की जेएमएम-कांग्रेस की सरकार से पांच वर्ष का हिसाब किताब मांगे. उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार को अपने कार्यकाल का जवाब देना होगा. अगर चुनौती नहीं होगी तो जीत का मजा नहीं आएगा. चुनाव से पहले झारखंड की महागठबंधन सरकार वोटरों को मंईंयां सम्मान योजना के रूप में चारा दे रही है. अगर इतनी ही चिंता थी तो पांच साल पहले जब सरकार बनी थी उसी समय इस योजना को लागू कर देते. लोग पांच वर्ष तक इस योजना से लाभांवित होते, लेकिन जान बूझकर के चुनावी महीने में इसे लागू किया गया, ताकि वोट बैंक बटोर सकें.