Ranchi: एलायंस इंडिया साहस प्रोजेक्ट के तहत उत्थान संस्था ने स्टेट वेलफेयर बोर्ड के गठन के तहत ट्रांसजेंडरों के विभिन्न मुद्दों पर प्रेस क्लब में साध्वी अमर सखी और महंत हिमांशी सखी ने मीडिया को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि झारखंड में सरायकेला, पश्चिम सिंहभूम, पूर्व सिंहभूम, रांची और धनबाद में लगभग पांच हजार ट्रांसजेंडर की आबादी है, जिनमें से केवल 70 लोगों के पास टीजी कार्ड बनवाया गया है.उन्होंने राज्य सरकार से ट्रांसजेंडरों की जनगणना कराने की अपील की, ताकि उनकी वास्तविक संख्या का पता चल सके. उन्होंने यह भी कहा कि समानता के अधिकार के तहत सरकारी और निजी क्षेत्रों में ट्रांसजेंडरों के लिए नौकरियां और सीटें सुनिश्चित की जानी चाहिए. इसके लिए सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे ताकि वे भी समाज और परिवार के अन्य लोगों की तरह आराम से जीवन यापन कर सकें.
यातना के कारण घर से बेघर होना पड़ता है – साध्वी
साध्वी अमर सखी ने बताया कि बचपन में ट्रांसजेंडर होने का पता नहीं चलता, लेकिन युवा होने पर यह पहचान बनती है. इस दौरान समाज और परिवार उन्हें घर से बाहर निकाल देते हैं. इसके कारण कई बार उन्हें जरूरी दस्तावेज भी नहीं मिल पाते, क्योंकि परिवार वाले उन्हें छिपा देते हैं. ऐसे में उन्हें सड़कों पर भटकने, ट्रेनों में भीख मांगने जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है.झारखंड हाईकोर्ट के एडवोकेट रीतिक सिन्हा और सामाजिक कार्यकर्ता उषा सिंह ने कहा कि ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड के मुद्दों पर आज विचार-विमर्श किया गया. उन्होंने कहा कि 2014 में नालसा जजमेंट के माध्यम से सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया गया था कि वे ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड बनाएं, लेकिन झारखंड में अभी तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है. साध्वी अमरजीत सखी ने पीआईएल के माध्यम से ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड बनाने की मांग की थी, लेकिन यह बोर्ड केवल कागज पर ही बना है और सात महीने से इसमें कोई कार्यवाही नहीं हो रही है.