Medininagar : पलामू में लॉकडाउन की पाबंदियों को दरकिनार करते हुए विभिन्न वाहन शोरूम संचालकों ने साढ़े चार हजार से अधिक दोपहिया और चारपहिया वाहनों की बिक्री की. सोशल एक्टिविस्ट सह नागरिक संघर्ष मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष देवेंद्र कुमार गुप्ता ने इस मामले को उठाया है. उनका कहना है कि कपड़े, जूते-चप्पल सहित अन्य दुकानों से फाइन वसूला गया और शोरूम संचालकों ने हजारों वाहन सड़क पर उतार दिये. उन्होंने मुख्यमंत्री को ट्वीट कर कार्रवाई करने की मांग की है. इस मामले को लेकर जिला परिवहन पदाधिकारी ने सभी शोरूम संचालकों को पत्र लिखकर 1 जनवरी से 31 मई 2021 तक बेचे गये वाहनों का विवरण मांगा है. डीटीओ की इस चिट्ठी से शोरूम संचालकों में हड़कंप है. गौरतलब है कि कोरोना की दूसरी लहर पर काबू पाने के उद्देश्य से 22 अप्रैल 2021 को पहली बार स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह शुरू हुआ. इस दौरान कड़ी पाबंदियां थीं. कई सेक्टरों को व्यापार की छूट नहीं थी. वाहनों के शोरूम भी इसमें शामिल थे.
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समय सीमा बीतने के बाद भी शोरूम संचालकों ने नहीं दिया ब्योरा
नागरिक संघर्ष मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष देवेंद्र कुमार गुप्ता ने आरोप लगाया है कि पलामू में ऑटोमोबाइल सेक्टर ने खुलकर धंधा किया. लॉकडाउन अवधि में जिले के विभिन्न शोरूम के माध्यम से करीब 46 सौ दोहपिया और चारपहिया वाहन सड़क पर उतरे. शोरूम बंद रहने के बावजूद गोदामों और सर्विस सेंटरों से वाहनों की बिक्री की गयी. इसकी जानकारी मिलने के बाद जिला परिवहन पदाधिकारी ने 1 जून को जिले में स्थित सभी शोरूम संचालकों से वाहनों की बिक्री का ब्यौरा मांगा. डीटीओ ने शोरूम संचालकों को 7 जून तक का समय दिया था. जानकारी के अनुसार समय सीमा समाप्त होने के बावजूद किसी संचालक द्वारा जिला परिवहन कार्यालय को बिक्री का ब्योरा दिये जाने की सूचना नहीं थी.
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लॉकडाउन में बिके वाहनों का कैसे जारी होगा आरसी
डीटीओ की चिट्ठी से शोरूम संचालकों और वाहन खरीदनेवालों की परेशानी बढ़ गयी है. अब वे कार्रवाई से बचने का रास्ता तलाश रहे हैं. समस्या यह है कि लॉकडाउन अवधि में बिके वाहनों के सेल लेटर और इंश्योरेंस पर परिवहन विभाग रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (आरसी) जारी करेगा, क्योंकि उस अवधि में शोरूम खोलने और कारोबार करने की ही मनाही थी. इसके आधार पर तो संबंधित शोरूम के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है.
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डीटीओ ने मामले पर प्रतिक्रिया देने से किया इनकार
लगातार की टीम ने जिला परिवहन कार्यालय जाकर वस्तुस्थिति की जानकारी लेने का प्रयास किया, लेकिन डीटीओ के नहीं रहने से उनसे बात नहीं हो पायी. जब इस संबंध में उनसे फोन पर प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की गयी, तो उन्होंने आदेश नहीं होने की बात कह कर इनकार कर दिया.
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