Lagatar Desk
अमेरिका की डोनाल्ड ट्रंप ने फॉरेन प्रैक्टिस एक्ट को निरस्त कर दिया है. इस एक्ट के तहत अमेरिकी सरकार व्यवसाय में रिश्वतखोरी की शिकायतों की जांच करती थी. इसी एक्ट के तहत अमेरिका में भारत के उद्योगपति गौतम अडानी और उनके परिवार के लोगों के खिलाफ जांच चल रही थी. उन्होंने न्याय मंत्रालय को लगभग 50 साल पुराने कानून पर रोक लगाने और उसकी फिर से समीक्षा करने के आदेश दिये हैं.
बता दें, कि इन्हीं पुराने कानून के तहत अडानी ग्रुप पर रिश्वतखोरी के आरोप लगे थे. ट्रंप ने 1977 के Foreign Corrupt Practices Act (एफसीपीए) कानून पर रोक लगा दी है. इस फैसले को अडानी ग्रुप के लिए राहत मिलेगी. हालांकि देखना होगा कि न्याय मंत्रालय अगले 6 महीनों में क्या रुख अपनाता है.
ट्रंप का अटॉर्नी जनरल पामेला बॉन्डी को एफसीपीए के प्रवर्तन को रोकने का निर्देश
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी अटॉर्नी जनरल पामेला बॉन्डी को एफसीपीए के प्रवर्तन को रोकने का निर्देश दिया है. बता दें कि एफसीपीए कानून बेसिकली अमेरिका में व्यापार करने आने वाली विदेशी कंपनियों को वहां के अधिकारियों को किसी भी प्रकार की रिश्वत देने से रोकता है. इसी कानून को तहह ही भारतीय बिजनेस गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी पर मुकादमा चलाया गया.
गौतम अडानी और उनके सहयोगियों पर एफसीपीए कानून कानून के तहत आरोप लगाये गये थे
गौतम अडानी और उनके सहयोगियों पर इसी कानून के तहत आरोप लगाये गये थे. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन की सरकार ने पिछले साल अडानी पर सौर ऊर्जा ठेकों के लिए अनुकूल शर्तों के बदले भारतीय अधिकारियों को 25 करोड़ अमेरिकी डॉलर (करीब 2,100 करोड़ रुपये) से अधिक की रिश्वत देने की योजना का कथित रूप से हिस्सा होने का आरोप लगाया था. हालांकि, अडानी ग्रुप ने इस सभी आरोपों से इनकार किया है.
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