Jamshedpur (Anand Mishra) : जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी के शिक्षा संकाय में पढ़ रहीं बीएड तीसरे सेमेस्टर की छात्राएं शिक्षा विभाग से लेकर उपायुक्त कार्यालय तक का चक्कर लगाने को विवश हैं. बुधवार को भी छात्राएं चिलचिलाती धूप में जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय (डीईओ) और उसके बाद उपायुक्त (डीसी) कार्यालय पहुंचीं थीं. लेकिन उनकी गुहार सुनने वाला कोई नहीं है. दरअसल यूनिवर्सिटी की करीब 190 छात्राओं को इनटर्नशिप के लिए सरकारी विद्यालयों में प्रतिनियुक्त किया गया है. लेकिन छात्राओं को शहर से बाहर बहरागोड़ा समेत अन्य क्षेत्रों में भेज दिया गया है. इस कारण छात्राओं और अभिभावकों की परेशानी बढ़ गयी है. इसे लेकर छात्राएं आंदोलित हैं. वे शहर व आसपास के विद्यालयों में प्रतिनियुक्त करने की गुहार लगा रही हैं.
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डीईओ से लेकर डीसी ऑफिस तक पहुंचीं छात्राएं, कहीं नहीं बनी बात
पिछले मंगलवार को छात्राएं उपायुक्त कार्यालय पहुंची थीं. वहां बात नहीं बनी, तो बुधवार को वे जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय पहुंचीं. वहां ज्ञापन सौंप पर अपनी परेशानी से अवगत कराया. छात्राओं ने बताया कि वहां भी उनकी एक नहीं सुनी गयी. उसके बाद पुनः वे उपायुक्त कार्यालय पहुंचीं. बता दें कि पहले कॉलेज की अनुशंसा पर जिला स्तर से छात्र अथवा छात्राओं को इंटर्नशिप के लिए विभिन्न विद्यालयों में भेजा जाता था. लेकिन अब यह प्रक्रिया राज्य स्तर से हो रही है. इस क्रम में छात्राओं को सुदूरवर्ती विद्यालयों में भेज दिया गया है. इस कारण छात्राओं को समय और खर्च दोनों ही तरह से नुकसान हो रहा है.
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क्या कहती हैं छात्राएं
छात्राओं ने बताया कि बीएड सत्र 2021-2023 की हम छात्राएं अत्यंत ही चिंताजनक स्थिति से गुजर रही हैं. जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी बीएड में हम नामांकन करा कर बीच मजझधार में हैं. हम सभी अनुसूचित जनजाति एवं पिछले वर्ग की छात्राएं सुदूर गाँव से आकर छात्रावास एवं पीजी में रह कर नियमित कक्ष की अपेक्षा करती हैं. किंतु पिछले 22 फरवरी 2023 को हमें स्कूल इनटर्नशिप से अब तक घर पर ही बैठना पड़ रहा है. हम कक्षा के लिए जाते भी हैं तो कोई क्लास ही नहीं होता. अभी हमारी तीसरे सेमेस्टर की परीक्षा होनी चाहिए थी, जबकि यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से हम सभी छात्राओं को उपायुक्त एवं डीईओ कार्यालय का चक्कर काटने को मजबूर किया जा रहा है. हमारे अभिभावक परेशान हैं. नियमित कक्षा न होना, बिना किसी छुट्टी के एक माह से हम सभी छात्राएं घर पर बैठी हैं.
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क्या कहते हैं जानकार
जानकार सूत्रों का कहना है कि छात्राओं को बेवजह यहां-वहां भटकने को मजबूर किया जा रहा है. विश्वविद्यालय प्रशासन को इस मसले पर ध्यान देना चाहिए. यदि विश्वविद्यालय प्रशासन अपनी छात्राओं की परेशानी को समझते हुए विभाग के साथ पत्रचार करे, तो समस्या का समाधान हो सकता है. बावजूद विश्वविदयालय के अधिकारी छात्राओं को परेशान करने पर तुले हुए हैं. सूत्र बताते हैं कि इन छात्राओं की दो महीने की इंटर्नशशिप के साथ ही अब तक तीसरे सेमेस्टर की परीक्षा भी हो जानी चाहिए थीं. जून में इनका दो साल का बीएड पूरा हो जाना चाहिए. लेकिन इस बीच करीब डेढ़ महीने छात्राओं को घर में बैठा दिया गया, जो छात्राओं के करियर के लिए काफी महत्वपूर्ण है.
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