NewDelhi : खबर है कि सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, सेवानिवृत्त नौकरशाहों और सेवानिवृत्त सशस्त्र बलों के अधिकारियों सहित 302 VVIP ने बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के खिलाफ बयान जारी किया है. इन्होंने गुजरात दंगों पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को प्रोपेगेंडा का हिस्सा करार दिया है. बता दें कि इससे पहले सरकार ने कहा था कि वह ऐसी फिल्म का महिमामंडन नहीं कर सकती.
Retired judges, retired bureaucrats and retired armed forces veterans co-sign a statement rebutting the BBC documentary ‘Delusions of British Imperial Resurrection?’ pic.twitter.com/XCFROpYzPl
— ANI (@ANI) January 21, 2023
हस्ताक्षरकर्ताओं में 13 सेवानिवृत्त न्यायाधीश, 133 नौकरशाह शामिल
शनिवार को जारी किये गये इस बयान में प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना करने वाली बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को ब्रिटिश शाही पुनरुत्थान का भ्रम बताया गया है. हस्ताक्षरकर्ताओं में 13 सेवानिवृत्त न्यायाधीश, 133 सेवानिवृत्त नौकरशाह शामिल हैं. इनमें 33 राजदूत और 156 सेवानिवृत्त सशस्त्र बल के अधिकारी भी शामिल हैं.
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ट्वीट ब्लॉक करने का आदेश दिये हैं
केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरुद्ध दुष्प्रचार करने वाली बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री शेयर करने वाले ट्वीट ब्लॉक करने का आदेश दिये हैं. साथ ही बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री के YouTube के लिंक जिन ट्वीट के जरिए शेयर किये गये हैं वे भी ब्लॉक कर दिये गये हैं. सूत्रों के अनुसार सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने निर्देश जारी किये हैं.
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50 से अधिक ट्वीट्स को ब्लॉक करने का आदेश
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने आदेश दिया है कि बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के पहले एपिसोड के YouTube पर शेयर किये गये सभी वीडियो को ब्लॉक किया जाये. इस क्रम में ट्विटर को डॉक्यूमेंट्री इंडिया: द मोदी क्वेश्चन के यूट्यूब वीडियो के लिंक वाले 50 से अधिक ट्वीट्स को ब्लॉक करने का आदेश दिया गया है.
सूत्रों का कहना है कि शुक्रवार को सूचना एवं प्रसारण सचिव की ओर से IT नियम, 2021 के तहत आपातकालीन शक्तियों का उपयोग करते हुए निर्देश जारी किये गये थे. खबर है कि YouTube और Twitter दोनों ने इन निर्देशों का अनुपालन किया है.
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भारत विरोधी एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए डॉक्यूमेंट्री अपलोड की गयी
जान लें कि यह डॉक्यूमेंट्री ब्रिटेन के पब्लिक ब्रॉडकास्टर ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (BBC) की ओर से निर्मित है. इसे भारतीय विदेश मंत्रालय ने पक्षपाती और औपनिवेशिकता के नजरिये को दर्शाने वाले एक प्रोपोगंडा का हिस्सा बताया था. मंत्रालय के अनुसार बीबीसी ने इसे भारत में उपलब्ध नहीं कराया. कुछ YouTube चैनल ने इसे अपलोड किया. ऐसा लगता है कि भारत विरोधी एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए इसे अपलोड किया गया है.
जानकारी के अनुसार यूट्यूब ने वीडियो को फिर से अपने प्लेटफॉर्म पर अपलोड करने पर उसे ब्लॉक करने का निर्देश दिया है. ट्विटर ने भी अन्य प्लेटफॉर्म पर वीडियो के लिंक वाले ट्वीट्स की पहचान करने और उन्हें ब्लॉक करने का निर्देश जारी किया है.
यह देश के सुप्रीम कोर्ट के अधिकार और विश्वसनीयता पर दाग लगाने वाली है
उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार विदेश मंत्रालय सहित गृह और सूचना प्रसारण मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों ने डॉक्यूमेंट्री की जांच के क्रम में पाया कि यह फिल्म आक्षेप लगाने का प्रयास है. यह देश के सुप्रीम कोर्ट के अधिकार और विश्वसनीयता पर दाग लगाने वाली है. यह भारतीय समुदायों के बीच विभाजन करने वाली और भारत में विदेशी सरकारों के कार्यों के बारे में निराधार आरोप लगाने वाली है. कहा गया कि यह डॉक्यूमेंट्री भारत की संप्रभुता और अखंडता को कमजोर करने वाली है. इससे देश के भीतर सार्वजनिक व्यवस्था के साथ-साथ विदेशों के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.