NewDelhi : इन दिनों देश में रेवड़ी कल्चर की चर्चा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेवड़ी कल्चर की ओर इशारा कर इसे सुर्खियों में ला दिया है. जान लें कि एक माह पहले आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया था कि राज्य सरकारें मुफ्त की योजनाओं पर जमकर खर्च कर रहीं हैं, जिससे वे कर्ज के जाल में धंसती जा रहीं हैं.श्रीलंका का आर्थिक संकट दुनियाभर की सरकारों के लिए चेतावनी है.
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श्रीलंका कर्ज पर कर्ज लेने के आज कंगाल हो गया है
मंगलवार को ऑल पार्टी मीटिंग में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चेताया था कि श्रीलंका से सबक लेते हुए हमें मुफ्त के कल्चर से बचना चाहिए. हालांकि जयशंकर ने कहा कि भारत में श्रीलंका जैसी स्थिति नहीं हो सकती, लेकिन यह एक सबक है कि वित्तीय विवेक, जिम्मेदार शासन और मुफ्त की संस्कृति नहीं होनी चाहिए.बता दें कि श्रीलंका कर्ज पर कर्ज लेने के आज कंगाल हो गया है. उस पर 51 अरब डॉलर का कर्ज है. वहां अभी न खाने-पीने का सामान है, न गैस है और न ही पेट्रोल-डीजल.
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मुफ्त की रेवड़ी बांटकर वोट बटोरने का कल्चर घातक
प्रधानमंत्री मोदी ने भी 16 जुलाई को बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का उद्घाटन अवसर पर जनसभा में मुफ्त की रेवड़ी कल्चर पर सवाल उठाये थे. पीएम मोदी ने कहा था कि हमारे देश में रेवड़ी कल्चर को बढ़ावा देने की कोशिश हो रही है. मुफ्त की रेवड़ी बांटकर वोट बटोरने का कल्चर लाने की कोशिश देश के विकास के लिए बहुत घातक है.
पीएम मोदी का बयान कुछ विपक्षी दलों को चुभ गया और इस पर सियासत भी शुरू हो गयी. हालांकि, एक माह पहले ही आयी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया था कि राज्य सरकारें मुफ्त की योजनाओं पर जमकर खर्च कर रहीं हैं, जिससे वो कर्ज के जाल में फंसती जा रहीं हैं.
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राज्य सरकारों का सब्सिडी पर खर्च लगातार बढ़ रहा है
स्टेट फाइनेंसेस: अ रिस्क एनालिसिस नाम से जारी आरबीआई की रिपोर्ट में उन पांच राज्यों के नाम दिये गये हैं, जिनकी स्थिति बिगड़ रही है. इनमें पंजाब, राजस्थान, बिहार, केरल और पश्चिम बंगाल शामिल है. आरबीआई ने अपनी इस रिपोर्ट में CAG के डेटा के हवाले से बताया है कि राज्य सरकारों का सब्सिडी पर खर्च लगातार बढ़ रहा है. 2020-21 में सब्सिडी पर कुल खर्च का 11.2% खर्च किया था, जबकि 2021-22 में 12.9% खर्च किया था.
सबसे ज्यादा खर्च झारखंड, केरल, ओडिशा, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में बढ़ा
रिपोर्ट के अनुसार सब्सिडी पर सबसे ज्यादा खर्च झारखंड, केरल, ओडिशा, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में बढ़ा है. खबर है कि गुजरात, पंजाब और छत्तीसगढ़ की सरकार ने अपने रेवेन्यू एक्सपेंडिचर का 10% से ज्यादा खर्च सब्सिडी पर किया है. सरकारें सब्सिडी की बजाय मुफ्त ही दे रहीं हैं. सरकारें ऐसी जगह पैसा खर्च कर रहीं हैं, जहां से उन्हें कोई कमाई नहीं हो रही है. फ्री बिजली, फ्री पानी, फ्री यात्रा, बिल माफी और कर्ज माफी, ये सब ‘freebies’ हैं, जिन पर राज्य सरकारें खर्च कर रहीं हैं.
हालांकि, कुछ राज्य ऐसे भी जिनका कर्ज 2026-27 तक GSDP का 30% से ज्यादा हो सकता है. इनमें पंजाब की हालत सबसे खराब होगी. उस समय तक पंजाब सरकार पर GSDP का 45% से ज्यादा कर्ज हो सकता है. वहीं, राजस्थान, केरल और पश्चिम बंगाल का कर्ज GSDP के 35% तक होने की संभावना है.
देश में सरकारों का राजकोषीय घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है
हमारे देश में सरकारों का राजकोषीय घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है. केंद्र सरकार का भी और राज्य सरकार का भी. देश में एक भी ऐसा राज्य नहीं है, जिसका खर्च उसकी आमदनी से कम हो. हर सरकार अपनी आमदनी से ज्यादा ही खर्च कर रही है. इस खर्च को पूरा करने के लिए कर्ज लेती है. आरबीआई के अनुसार देशभर की सभी राज्य सरकारों पर मार्च 2021 तक 69.47 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज है. तमिलनाडु सरकार पर सबसे ज्यादा 6.59 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है. इसके बाद उत्तर प्रदेश का नंबर है. उस पर 6.53 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज है.
बता दें कि मार्च 2021 तक देश में 19 राज्य ऐसे थे, जिन पर 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज था. आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में श्रीलंका के आर्थिक संकट का उदाहरण देते हुए सुझाव दिया है कि राज्य सरकारों को अपने कर्ज में स्थिरता लाने की जरूरत है, क्योंकि कई राज्यों के हालात अच्छे संकेत नहीं दे रहे हैं.