New Delhi: पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के शताब्दी वर्ष और संविधान दिवस के अवसर पर 80वें सम्मेलन का आयोजन 25 व 26 नवम्बर गुजरात के केवड़िया में किया जा रहा है. इस सम्मेलन का उद्घाटन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के द्वारा किया जाएगा. कार्यक्रम में राज्य सभा के उपसभापति तथा उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू भी उपस्थित रहेंगे. पीठासीन अध्यक्षों के सम्मेलन के सभापति भी इस दो दिवसीय सम्मेलन में शामिल रहेंगे. वहीं कार्यक्रम में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, मुख्य मंत्री विजय रूपाणी सहित कई गणमान्य अतिथि भी शामिल रहेंगे. सम्मेलन में सभी राज्यों के विधानमंडलों के सचिवों तथा अन्य उच्च अधिकारियों के भी सम्मिलित होने की सम्भावना है.
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1921 में प्रारंभ हुई थी यह परंपरा
ओम बिरला ने कहा कि 26 नवम्बर का दिन लोकतांत्रिक इतिहास का महत्वपूर्ण दिन हैं क्योंकि यह दिन पूरे देश में संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के शताब्दी वर्ष के रूप में भी मनाया जा रहा है.अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन की परम्परा वर्ष 1921 में प्रारंभ की गयी थी. बीती अवधि में यह सम्मेलन लोकतांत्रिक प्रणाली को मजबूती प्रदान करने की दृष्टि से अनुभवों, नए विचारों और नवाचारों को साझा करने का एक सशक्त मंच सिद्ध हुआ है. इस बार के सम्मेलन का विषय ‘सशक्त लोकतंत्र हेतु विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका का आदर्श समन्वय’’ रखा गया है.
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समापन समरोह को संबोधित करेंगे प्रधानमंत्री
सम्मेलन में विधायिका एवं कार्यपालिका की जनता के प्रति संवैधानिक जवाबदेही को प्रभावी ढंग से सुनिश्चित करने पर भी विचार किया जाएगा. सम्मेलन में संसद तथा विधान सभाओं की कार्यवाही को अनुशासित तथा प्रक्रिया नियमों के अनुसार संचालित किए जाने पर भी चर्चा की जाएगी. इस दो दिवसीय सम्मेलन का समापन दिनांक 26 नवम्बर को संविधान दिवस के अवसर पर होगा. स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समापन समरोह को वर्चुअल माध्यम से सम्बोधित करेंगे.
संविधान आधारित प्रदर्शनी का भी होगा आयोजन
सम्मेलन के साथ ही केवड़िया में संविधान और मूल कर्तव्यों विषय पर आधारित एक प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएग. आम लोगों भी इस प्रदर्शनी में जहां संविधान के बारे में जान सकेंगे वहीं अपने कर्तव्यों को भी समझ सकेंगे. प्रधानमंत्री भी पहली बार पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में भाग लेंगे.
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