LagatarDesk : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तीन दिवसीय मौद्रिक नीति कमेटी (एमपीसी) की बैठक आज 7 फरवरी को समाप्त हो गयी. जो 5 फरवरी से शुरू हुई थी. बैठक के बाद आरबीआई के नये गवर्नर संजय मल्होत्रा ने 56 महीनों (यानी मई 2020) के बाद ब्याज दर में 0.25 फीसदी कटौती की है. जिसके बाद रेपो रेट 6.50 फीसदी से घट कर 6.25 फीसदी हो गयी है. रेपो रेट में कटौती होने से देश के करोड़ों होम और कार लोन लेने वालों को बड़ी राहत मिलेगी. क्योंकि आरबीआई के इस फैसले से होम और कार लोन की ईएमआई में कमी आयेगी.
वित्त वर्ष 2026 में जीडीपी ग्रोथ रेट 6.7% रहने का अनुमान
आरबीआई गवर्नर के अनुसार, वित्त वर्ष 2026 में देश की ग्रोथ 6.75 फीसदी देखने को मिल सकती है. उन्होंने पहली तिमाही के लिए ग्रोथ रेट का अनुमान 6.7 फीसदी हो सकती है. जबकि दूसरी तिमाही में यह बढ़कर 7 फीसदी हो सकता है. जबकि तीसरी और चौथी तिमाही के लिए आरबीआई ने जीडीपी ग्रोथ रेट 6.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है. इससे पहले दिसंबर में हुई एमपीसी बैठक में आरबीआई ने पहली तिमाही में ग्रोथ रेट का अनुमान 6.9 फीसदी, जबकि दूसरी तिमाही में ग्रोथ 7.3 फीसदी रखा था. लेकिन इस बार दोनों तिमाही में 20 से 30 बेसिस प्वाइंट की कटौती की गयी है.
मौजूदा वित्त वर्ष में महंगाई 4.8 फीसदी रहने का अनुमान
आरबीआई ने महंगाई को लेकर भी अनुमान जारी किये हैं. गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मौजूदा वित्त वर्ष में महंगाई 4.8 फीसदी रहने का अनुमान जताया है. हालांकि चौथी तिमाही के महंगाई में 10 बेसिस प्वाइंट का इजाफा किया गया है. इसके बाद महंगाई दर 4.4 फीसदी से बढ़कर 4.5 फीसदी हो गयी. वहीं वित्त वर्ष 2026 में महंगाई 4.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है. जबकि पहली तिमाही में 4.6 फीसदी हो सकती है. हालांकि पहले आरबीआई ने पहली तिमाही में महंगाई दर 4.5 फीसदी का रहने अनुमान जताया था. दूसरी तिमाही में 4 फीसदी, तीसरी तिमाही में 3.8 फीसदी और चौथी तिमाही में महंगाई दर 4.2 फीसदी रहने का अनुमान है.
#WATCH | Making a statement on Monetary Policy, RBI Governor Sanjay Malhotra says, "The Monetary Policy Committee unanimously decided to reduce the policy rate by 25 basis points from 6.5% to 6.25%…"
(Source – RBI) pic.twitter.com/wIOOfpAwS4
— ANI (@ANI) February 7, 2025
बैंकिंग धोखाधड़ी रोकने के उद्देश्य से सभी बैंकों के लिए विशेष इंटरनेट डोमेन होगा शुरू
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा है कि रिजर्व बैंक बैंकिंग और डिजिटल भुगतान की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कई कदम उठा रहा है. इनमें से एक कदम डिजिटल भुगतान के लिए अतिरिक्त प्रमाणीकरण की व्यवस्था है. अब यह प्रणाली विदेशी व्यापारियों के ऑनलाइन अंतर्राष्ट्रीय भुगतानों पर भी लागू करने का प्रस्ताव है. इसके अलावा, रिजर्व बैंक भारतीय बैंकों के लिए एक विशेष इंटरनेट डोमेन ‘http://bank.in‘ शुरू करेगा. इस डोमेन का पंजीकरण इस साल अप्रैल से शुरू होगा, जिससे बैंकिंग धोखाधड़ी को रोकने में मदद मिलेगी. बाद में, पूरे वित्तीय क्षेत्र के लिए ‘http://fin.in‘ डोमेन भी लागू किया जाएगा.
भारत की आर्थिक स्थिति और विदेशी मुद्रा भंडार है मजबूत
संजय मल्होत्रा ने कहा कि विश्व बैंक के अनुसार, भारत 129.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर के प्रेषण के साथ वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता बना हुआ है. चालू खाता घाटा इस वर्ष संधारणीय स्तर पर रहने की उम्मीद है. 31 जनवरी तक, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 630 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक था, जो 10 महीने से अधिक का आयात कवर करने में सक्षम है. उन्होंने कहा कि भारत का बाहरी क्षेत्र लचीला है, क्योंकि प्रमुख आर्थिक संकेतक मजबूत बने हुए हैं. रिजर्व बैंक की विनिमय दर नीति पिछले कुछ वर्षों में स्थिर रही है, जिसका उद्देश्य बाजार की दक्षता बनाए रखना है. विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप केवल अत्यधिक अस्थिरता को कम करने पर केंद्रित है, न कि किसी विशिष्ट लक्ष्य को प्राप्त करने पर.
संजय मल्होत्रा की यह पहली एमपीसी बैठक
बता दें कि आरबीआई ने करीब 56 महीने के बाद यानी मई 2020 के बाद रेपो रेट में कटौती की है. वहीं करीब दो साल के बाद रेपो दरों में कोई बदलाव देखने को मिला है. फरवरी 2023 से ब्याज दरों में कोई बदलाव देखने को नहीं मिला था. इससे पहले ब्याज दरों में बदलाव तो हुआ था. लेकिन आरबीआई ने इसमें बढ़ोतरी की थी. मई 2020 के बाद पहली बार रेपो रेट में कटौती की गयी है. खास बात तो ये है कि आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा की यह पहली आरबीआई मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग है. जिसमें उन्होंने पहली ही बार में आम लोगों को बड़ी राहत दी है.
8 फरवरी 2023 के बाद आरबीआई ने रेपो रेट में नहीं किया इजाफा
बता दें कि आरबीआई ने 4 मई 2022 को अचानक ब्याज दरों में बदलाव करने का ऐलान किया था. शक्तिकांत दास ने रेपो रेट को 40 बेसिस पाइंट बढ़ाकर 4.40 फीसदी कर दिया था. फिर जून में रेपो रेट में 50 बेसिस पाइंट का इजाफा किया गया. जिसके बाद रेपो रेट 4.40 फीसदी से बढ़कर 4.90 फीसदी हो गया था. रिजर्व बैंक ने 5 अगस्त को रेपो रेट में 50 बेसिस पाइंट बढ़ाकर 5.40 फीसदी कर दिया था. वहीं 30 सितंबर को रेपो रेट 50 बेसिस पाइंट बढ़कर 5.90 फीसदी हो गया. वहीं 7 दिसंबर को आरबीआई ने रेपो रेट 35 बेसिस पाइंट बढ़ाकर 6.25 फीसदी कर दिया. वहीं 8 फरवरी 2023 को आरबीआई ने रेपो रेट 25 बेसिस पाइंट बढ़ाकर 6.50 फीसदी कर दिया. इसके बाद आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बढ़ोतरी नहीं की.
क्या होता है रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट उस दर को कहते हैं जिस दर पर आरबीआई बैंकों को पैसा रखने पर ब्याज देती है. रेपो रेट के कम होने से लोन की ईएमआई घट जाती है, जबकि रेपो रेट में बढ़ोतरी से सभी तरह के लोन महंगे हो जाते हैं.
रेपो रेट घटने से कर्ज लेना होता है सस्ता
अगर आरबीआई रेपो रेट बढ़ाता है तो कर्ज लेना महंगा हो जाता है. क्योंकि बैंकों की बोरोइंग कॉस्ट बढ़ जाती है. इसका असर बैंक के ग्राहकों पर पड़ेगा. होम लोन के अलावा ऑटो लोन और अन्य लोन भी महंगे हो जाते हैं. जिसके कारण लोगों को पहले की तुलना में ज्यादा ईएमआई देनी पड़ती है. दूसरी तरफ रेपो रेट घटाने से आम जनता पर ईएमआई का बोझ कम होता है. रेपो रेट वह दर होता है, जिस पर आरबीआई (RBI) बैंकों को कर्ज देता है.