– लगातार विरोध के चलते कई बार जनसुनवाई हुई रद्द.
– ग्राम सभा ने अडानी को जमीन न देने का लिया सामूहिक फैसला.
Pravin kumar
Ranchi: हजारीबाग के बड़कागांव के गोंदलपुरा पंचायत में अडानी कोल परियोजना का विरोध जारी है. यह विरोध 670 दिनों से चल रहा है. ग्रामीणों ने उस जगह पर शिव मंदिर निर्माण करा दिया है. इसी माह मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन किया जायेगा. 19 फरवरी को ग्रामीणों ने इस बात की घोषणा की.
ग्रामीणों का आरोप है कि अडानी के पक्ष में काम करते हुए सरकार और प्रशासन ने कागज पर फर्जी ग्राम सभा का आयोजन दिखा दिया. साथ ही फर्जी ग्राम सभा के जरिये ही ग्रामसभा की मंजूरी मिलने की बात फैला दी.
ग्रामीण किसी भी परिस्थिति में अपनी जमीन अडानी कोल परियोजना के लिए नहीं देना चाहते. परियोजना के विरोध में ग्रामीण पिछले 670 दिनों से धरना पर बैठे हैं.
जानकारी के मुताबिक, झारखंड सरकार ने सितंबर 2024 में अडानी कोल परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण की अधिघोषणा जारी की थी. जिसके मुताबिक, सरकार को एक साल के भीतर जमीन को खाली करके अडानी ग्रुप को सौंपना है.
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कहां है गोंदलपुरा कोयला खनन परियोजना?
– हजारीबाग जिला के बड़कागांव प्रखंड के गोन्दलपुरा, गाली, बलोदर हाहे, फुलांग मैजा की जमीन अडानी कोल ब्लॉक शुरु होगा.
– कुल 1268 एकड़ भूमि पर खनन किया जायेगा. इसमें 550 एकड़ उपजाऊ खेती योग्य और 540 एकड़ जंगल शामिल.
– परियोजना शुरु होने से 5 गांवों के 781 परिवार विस्थापित होंगे. जिनमें आदिवासी, दलित और पिछड़े समुदाय के लोग शामिल हैं.
– वर्ष 2010 में पर्यावरण मंत्रालय ने इसे ‘नो-गो’ जोन घोषित किया था.
– ग्रामीणों ने बताया कि जिस जमीन पर कोल परियोजना शुरु होगा, वह जमीन तीन तरफ से पहाड़ से घिरा है औऱ बहुफसली है. उस भूखंड पर फलदार वृक्ष, जड़ी-बूटियों, वन औषधि, राष्ट्रीय पक्षी, हाथियों का आना जाना (कोरिडॉर) है.
– परियोजना की भूमि पर कई छोटी-छोटी नदियां भी है.
कर्णपुरा बचाओ संघर्ष समिति, गोंदलपुरा के ग्रामीण विकास कुमार महतो, अरुण महतो, कृष्णा महतो कहते हैं कि भूमि अधिग्रहण को लेकर फर्जी ग्रामसभा किया गया. अफसरों ने ग्राम सभा में बिना अनुमोदन के भी भूमि अधिग्रहण की सरकारी स्वीकृति दे दी.
ग्रामीणों का आक्रोश का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है. विगत एक पखवाड़ा पहले अडानी कॉल कंपनी के द्वारा बड़कागांव चंदौली पंचायत में पुनर्वास कॉलोनी निर्माण के लिए जनसुनवाई नहीं किया जा सका. वहां कंपनी या प्रशासन के अधिकारी नहीं पहुंच सके.
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