Surjit Singh
भारत का मीडिल क्लास कर्ज के दलदल में बुरी तरह फंस गया है. यह वो मीडिल क्लास है, जिसकी मासिक आय 50 हजार से अधिक है. यानी अपर मीडिल क्लास. उसके चेहरे पर मुस्कान तो है, पर वह भीतर से खोखला होता जा रहा है. असल में उनके हालात उपर से टीप-टॉप और भीतर से मोकामा घाट वाली है. पर वह यह जख्म किसी को दिखाने के लायक नहीं बचा है.
कर्ज के जंजाल में फंसने की वजह से बैंक भी परेशान हैं. उनका एनपीए तेजी से बढ़ रहा है. खास कर निजी बैंकों का एनपीए. एनपीए उस कर्ज को माना जाता है, जिसका प्रीमियम 120 दिनों से अधिक तक नहीं जमा किया गया हो.
आखिर भारत के मीडिल क्लास पर कितना कर्ज है, यह जानने के लिए हाल के आंकड़े को जानें. जून 2021 में भारतीय मीडिल क्लास पर 77 लाख करोड़ खर्च था. जबकि मार्च 2024 में 121 लाख करोड़. यानी लगभग 50 लाख करोड़ रुपये बढ़ गया.
मीडिल क्लास द्वारा लिया गया कर्ज जून 2021 में भारत की जीडीपी का 36.6 प्रतिशत था, जो मार्च 2024 में 41 प्रतिशत तक पहुंच गया.
मीडिल क्लास ने कर्ज लेकर एसेट क्रिएट करने पर खर्च नहीं किया, बल्कि अपनी जरुरतों को पूरा करने के लिए लोन लिया. आय कम होती जा रही है और जरुरतों को पूरा करने के लिए उन्हें क्रेडिट कार्ड, नन बैंकिंग कंपनियों की ओर रुख करना पड़ा.
भारत के मीडिल क्लास के खस्ता हाल के बारे में पीडब्लूओ की ताजा रिपोर्ट भी इशारा करती है. पीडब्लूओ ने देश के 31 लाख लोगों पर एक सर्वे कर रिपोर्ट तैयार किया है.
इस रिपोर्ट के मुताबिक, देश का मीडिल क्लास हर माह अपनी आमदनी का 39 प्रतिशत कर्ज की किस्त चुकाने पर खर्च कर रहा है. जबकि 32 प्रतिशत राशि को वह अपनी नियमित जरूरतों को पूरा करने पर खर्च करता है. बचे 29 प्रतिशत राशि में से वह भविष्य के लिए कुछ सुरक्षित रखता है या फिर अनचाहे परेशानियों से निपटने के लिए खर्च करना पड़ता है.
तो यह हाल है देश के अपर मीडिल क्लास का. यह वही मीडिल क्लास है, जो सरकार की वर्तमान नीतियों पर खूब खुश होता है. पहले की नीतियों को कोसता है और यह मानने लगा है कि भारत की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी है और बस कुछ ही दिनों में देश दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जायेगा.