Ranchi: रोमन कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च धर्मगुरु, 266वें पोप फ्रांसिस का सोमवार सुबह 7:35 बजे (रोम समयानुसार) वेटिकन स्थित कांसा सांता मार्टा निवास में निधन हो गया. 88 वर्षीय पोप लंबे समय से बीमार चल रहे थे और डबल निमोनिया अटैक के बाद वेंटिलेटर पर थे. वे ब्रोंकोस्पज़म नामक गंभीर श्वसन समस्या से जूझ रहे थे. उनके निधन से पूरी दुनिया में शोक की लहर दौड़ गई है.
वेटिकन के कैमर्लेंगो कार्डिनल केविन फेरेल ने उनके निधन की पुष्टि करते हुए कहा, पोप फ्रांसिस का जीवन ईश्वर और चर्च की सेवा में समर्पित रहा. उन्होंने हमें प्रेम, करुणा और साहस के साथ जीने का मार्ग दिखाया.
पोप फ्रांसिस, जिनका मूल नाम जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो था, 17 दिसंबर 1936 को अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में जन्मे थे. वे लैटिन अमेरिका से आने वाले पहले पोप थे और 13 मार्च 2013 को 266वें पोप के रूप में चुने गए थे.
पोप फ्रांसिस पहले गैर-यूरोपीय और पहले जेसुइट पोप भी थे. चर्च में सुधार, सामाजिक न्याय और गरीबों की सेवा को लेकर उनका योगदान रहा.
पोप फ्रांसिस के निधन की खबर झारखंड पहुंचते ही ईसाई समाज में शोक की लहर दौड़ गई. रांची के संत मरिया महागिरजाघर, सीएनआई और जीईएल चर्चों में विशेष प्रार्थनाएं की गईं. चर्चों के बिशप, फादर, पादरी, सिस्टर एवं धर्मबहनों ने गहरा शोक व्यक्त किया.
ऑल इंडिया क्रिश्चियन माइनॉरिटी फ्रंट के प्रदेश महासचिव प्रवीण कच्छप ने कहा, पोप फ्रांसिस का निधन पूरी मानवता के लिए अपूरणीय क्षति है. उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन प्रभु यीशु के उपदेशों, चर्च और गरीबों की सेवा में समर्पित कर दिया.
इस मौके पर संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अजीत तिर्की, प्रदेश अध्यक्ष कुलभूषण डुंगडुंग, प्रदेश प्रवक्ता राजकुमार नागवंशी, विधिक सलाहकार दीप्ति होरो, अरुण हांसदा, अजय कुमार एक्का, अजय ओड़ेया समेत अनेक प्रमुख लोगों ने शोक व्यक्त किया. अब कार्डिनल परिषद नए पोप के चयन की प्रक्रिया शुरू करेगी. पोप फ्रांसिस के निधन के साथ ही चर्च के एक ऐतिहासिक और करुणामय युग का अंत हो गया है.