Hazaribagh: आत्मनिर्भर होने का लक्ष्य लेकर हजारीबाग के कटकमदाग प्रखंड के कुंडली बागी इलाके के दो किसानों ने कई एकड़ जमीन किराए पर लेकर खेती आरंभ की. उन्होंने पूरे उत्साह के साथ खेत में टमाटर और बैगन लगाया. बारिश के दिनों में शुरू किए गए खेती में सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन जैसे ही बारिश खत्म हुई और सर्दी शुरू हुई तो फसल देखकर दोनों परेशान हो गये. बैगन की खड़ी फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी थी. उसके ऊपर कोयले के स्पंज आयरन फैक्ट्री से निकलने वाला प्रदूषित राख और अन्य अवशिष्ट पदार्थ की एक परत चढ़ गई थी. इससे बैगन और टमाटर की फसल बर्बाद हो गई. इससे कर्ज की अदायगी मुश्किल हो गई. दूसरी तरफ साहूकार दबाव डालने लगा. अब स्थिति यह है कि दोनों पूरी तरह मायूस हो चुके हैं और आत्महत्या तक करने की बात कह रहे हैं .
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फैक्ट्री के प्रदूषण से बर्बाद हो रहे खेत
पूरा मामला दो स्पंज फैक्ट्री जगतारिणी और नरसिम्हा से जुड़ा हुआ है. इन दोनों फैक्ट्रियों से निकलने वाले प्रदूषण से आसपास के ग्रामीण और किसान बहुत परेशान हैं. इन फैक्ट्रियों से हो रहे प्रदूषण की शिकायत जिले के अधिकारियों के साथ-साथ कृषि मंत्री और झारखंड के मुख्यमंत्री तक की गई है. कार्रवाई के तौर पर केवल एक बार प्रदूषण विभाग के अधिकारी खेतों को देखे और केवल आश्वासन देकर चले गये. शिकायत के एक माह बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई.
फैक्ट्री के मालिक ऊंची पहुंच वाले बताये जाते हैं. दोनों दोस्तों ने उनसे कुछ मुआवजे की गुजारिश की तो उन्होंने कहा कि आप पूरे इलाके में टेंट लगवा लीजिए. हम कोई मुआवजा नहीं दे सकते. किसान और आसपास के गांव वाले यह आरोप लगाते हैं कि इन फैक्ट्रियों की चिमनियों में प्रदूषण को रोकने के लिए एक यंत्र होता है, जो फैक्ट्री वाले अधिक बिजली की खपत या अन्य कारणों से नहीं चलाते हैं. यही कारण है कि प्रदूषण लगातार फैलता जा रहा है.
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अब तक नहीं हुई कार्रवाई
हजारीबाग में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय है. यहां के अधिकारी से इस बाबत जब पूछा गया तो वह कहते हैं कि कार्रवाई हो रही है और जल्द ही उन्हें नोटिस भेजा जायेगा. कहा कि उन्होंने स्थल निरीक्षण किया है और प्रदूषण की स्थिति देखा है, लेकिन एक माह बीत जाने के बाद भी अभी तक कोई नोटिस जारी नहीं हुआ है. ऐसे में कार्रवाई का अंदाजा लगाया जा सकता है. फैक्ट्री जगतारिणी के मैनेजर जितेंद्र महतो कहते हैं कि गांव की समिति को प्रदूषण के एवज में 30 से 35 हज़ार रुपया दिया जा रहा है. अब किसानों को कितना मुआवजा मिलेगा यह मालिकों पर निर्भर करता है.
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