Lagatar Impact : रिवर व्यू जमीन घोटाले में एसीबी ने दर्ज की पीई, सीएम ने दिया था एसीबी जांच का आदेश.
रांची: जिले के कांके अंचल में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के पीछे स्थित जुमार नदी और उसके आसपास के 25 एकड़ सरकारी जमीन घोटाले मामले में एसीबी ने पीई दर्ज की है. एसीबी ने इस मामले में इस कांके अंचल के सीओ अनिल कुमार, राजस्व कर्मचारी और अन्य कर्मियों को आरोपित करते हुए उनकी मिलीभगत की जांच शुरू कर दी गई है. गौरतलब है कि बीते नौ दिसंबर को इस मामले में मुख्यमंत्री ने कड़ा एक्शन लिया था. मुख्यमंत्री ने एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) को पीई दर्ज कर इसकी जांच करने की मंजूरी दे दी थी.एसीबी को 45 दिनों के अंदर इस घोटाले की जांच कर प्रारंभिक रिपोर्ट देने को कहा गया है. Lagatar.in ने इस मामले का खुलासा किया था. इसके बाद मामले में प्राथमिकी दर्ज हुई और इस घोटाले में सरकारी पदाधिकारियों की भूमिका को संदिग्ध पाते हुए अब एसीबी को इसकी जांच सौंपी गयी थी.
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लगातार डॉट इन के जरिए सामने आया मामला:-
गौरतलब है कि जुमार नदी और आसपास की सरकारी तथा बीएयू की जमीन का अतिक्रमण कर बेचने के मामले का पहली बार लगातार डॉट इन ने पर्दाफाश किया था. लगातार डॉट इन ने इस बात को उजागर किया था कि कांके लॉ कॉलेज से सटे रिंग रोड के किनारे करीब 25 एकड़ जमीन को प्लॉटिंग कर बेचने की तैयारी की जा रही है. साथ ही भू-माफिया जुमार नदी के किनारे को मिट्टी डाल कर भरने और जेसीबी से समतल करने का काम कर रहे हैं. यहां लगभग 20.59 एकड़ जमीन गैर मजरुआ प्रकृति की है, जिसमें 20.20 एकड़ भूमि खतियान में नदी के रूप में दर्ज है.
उपायुक्त ने अपर समाहर्ता, भू हदबंदी से करायी जांच:-
रांची के उपायुक्त छविरंजन ने मामले के सामने आने के बाद अपर समाहर्ता, भू हदबंदी से इसकी जांच करायी. अपर समाहर्ता ने जांच रिपोर्ट में कहा है कि यहां कुछ खाता संख्या के प्लॉट खतियान में भुइंहरी जमीन के रूप में दर्ज हैं औऱ खाता संख्या 142, प्लॉट संख्या 2309 की जमीन गैरमजरुआ मालिक प्रकृति की है. जो बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के लिए अर्जित है. साथ ही लगभग 20.59 एकड़ अतिरिक्त जमीन गैरमजरुआ मालिक प्रकृति की है. नदी के रुप में दर्ज 20.20 एकड़ जमीन के कुछ अंश पर रिवर व्यू गार्डेन के प्रोपराइटर कमलेश कुमार द्वारा मिट्टी भरवा कर समतलीकरण का काम कराया जा रहा है.
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कांके के अंचल अधिकारी की संलिप्तता:-
उपायुक्त ने यह जांच रिपोर्ट भू राजस्व विभाग को सौंपते हुए लिखा है कि जमीन माफिया द्वारा सरकारी जमीन के अतिक्रमण में कांके के अंचल पदाधिकारी की मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता है. सरकारी जमीन का संरक्षक होने के बावजूद सीओ द्वारा सरकारी जमीन और नदी को भरने के मामले को नजरअंदाज करना, उनकी संलिप्तता की तरफ इशारा करता है. इतना ही नहीं कांके सीओ द्वारा 10 नवंबर, 2020 को ई-मेल के माध्यम से प्रतिबंधित भूमि की जो सूची उपलब्ध करायी गयी है, उसमें उपरोक्त सरकारी भूमि को नहीं डाला गया है, जिसपर भू माफियाओं द्वारा कब्जा किया जा रहा है.
कांके सीओ को सस्पेंड करने की अनुशंसा:-
उपायुक्त ने अपनी रिपोर्ट में कांके सीओ अनिल कुमार को निलंबित करते हुए उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की है. डीसी ने लिखा है कि कांके के अंचल अधिकारी ने जमीन घोटाले के बारे में मांगे गये स्पष्टीकरण का कोई जवाब नहीं दिया. यह अनुशासनहीनता और सीनियर अधिकारी के आदेश की अवहेलना. डीसी ने उनकी सेवा कार्मिक विभाग को वापस करने की सिफारिश सरकार से की है.
उपायुक्त ने दोषियों पर कड़ी कार्रवाई को लिखा था:-
उपायुक्त ने अपनी रिपोर्ट में जमीन घोटाले के मामले में जिला प्रशासन द्वारा दर्ज करायी गयी प्राथमिकी पर तत्काल अनुसंधान करते हुए, इसमें संलिप्त सरकारी पदाधिकारियों, कर्मचारियों और जमीन दलालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की अनुशंसा भी की है. उपायुक्त की रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमंत्री ने एसीबी को पीई दर्ज कर जांच रिपोर्ट देने को कहा था.