Bermo: जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए गोमिया प्रखंड के किसानों को प्रशिक्षण दिया गया. यह कार्यक्रम रांची की संस्था संवाद ने आयोजित किया था. गोमिया के सियारी पंचायत अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय में किसानों को एकदिवसीय जैविक खाद और जैविक फसल रक्षक दवा का प्रशिक्षण दिया गया.
प्रशिक्षक के रूप में दिव्यार्थी बोकारो के अध्यक्ष एके सिन्हा और हजारीबाग के प्रशिक्षक राजकुमार मोर्य और नारायण गोप मौजूद थे. प्रशिक्षण कार्यक्रम में सियारी पंचायत के नीम टोला, कदम टोला, ताला टोला, उदा मंझलीटांड़, भुइयांटोला, करमालीटोला और डुमरी के किसानों ने भाग लिया. किसानों को जैविक खेती की बारीकियों से अवगत कराया. प्रशिक्षक ने किसानों से कहा कि फसल की बेहतर पैदावार व पोषण के लिए जीवधारियों या उनके अवशेषों के उपयोग को जैविक पोषक तत्व या जैविक खाद की आवश्यकता होती है. जैविक खाद वातावरण में उपलब्ध नाइट्रोजन को संरक्षित करने या पोषक तत्वों जैसे-फॉस्फोरस को पौधों को उपलब्ध कराने में सहायक होती हैं. जैविक खाद पौधों की प्रभावकारी वृद्धि के लिए पोषक तत्व वाहक का काम भी करती है.
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मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है
कहा कि जैविक खादें जैविक पदार्थों से बनाई जाती हैं. ये खादें पर्यावरण संतुलन को बनाये रखने में मदद करती हैं. मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती हैं. जैविक खादों से मिट्टी की नमी को लंबे समय तक संरक्षित रखा जा सकता है. साथ ही भूमि के कटाव को भी रोकता है. प्रशिक्षण में जैविक खाद बनाने की विधि बतायी गयी. इसमें मटका खाद, देसी केंचुओं की खाद, नाडेप कम्पोस्ट, पंचगव्य जीवामृत और घनजीवामृत खाद बनाने की प्रशिक्षण दिया गया. किसानों को बारहमासी फलने-फूलने वाली सहजन के पौधे दिये गये. प्रशिक्षण कार्यक्रम में निरुलाल मांझी, छोटेलाल टुडू, लालदीप सोरेन, रामवृक्ष मूर्मु, तालो मांझी, रामेश्वर मांझी, मीना मूर्मु, सुलिता देवी, छावी देवी, मुर्ति देवी, संजय सोरेन और महावीर मांझी मौजूद थे.
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