Sonia Jasmin
Ranchi: प्राइवेट स्कूलों में लॉकडाउन की वजह से सिर्फ दो महीनों की ट्यूशन फीस ली जा रही है. लॉकडाउन से हमारे दैनिक जीवन के साथ-साथ आर्थिक परेशानियां भी हुई है. इनकम का सोर्स खत्म हो जाने की वजह से अभिभावकों का कर्ज बढ़ गया है. ऐसे में वे स्कूल फीस देने में असमर्थ हैं. अभिभावकों का कहना है कि “ऑनलाइन पढ़ाई ज्यादा से ज्यादा दो घंटे ही करायी जाती है. अभिभावकों को इंटरनेट और ऑनलाइन एजुकेशन के लिए खुद ही खर्च करना पड़ता है. स्कूल का रोजमर्रा और प्रशासनिक खर्च भी घट गए. वहीं 9वीं और 12वीं तक की क्लासेज के अलावा अन्य कक्षाएं खुलने का कोई भी आसार नहीं लग रहा.
ऑनलाइन क्लास के नाम पर बेवजह फीस वसूल रहे स्कूल
पेरेंट्स ने कहा कि स्कूल में ऑनलाइन क्लास के अलावा परिवहन और अन्य एक्टिविटी में कोई खर्च नहीं हो रहा है. तो फीस किस बात की ली जा रही है. उनका यह भी कहना है कि फीस नहीं दे पाने पर बच्चों को ऑनलाइन क्लास से बाहर कर दिया जाता है. नियमित कक्षा नहीं होने के बावजूद सभी तरह के शुल्क लिया जा रहे हैं.
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निजी स्कूल संचालक बता रहे अपनी परेशानी
इस मामले पर निजी स्कूल संघ कहना है कि लोन लेकर निर्मित भवन में स्कूलों के संचालक में काफी संकट उत्पन्न हो रही है. लॉकडाउन में हालात बेहद खराब और जस के तस हैं. बिजली की खपत निश्चित तौर पर विद्यालयों में कम हुई है. लेकिन इसको स्कूल की बचत के रूप में नहीं देखा जा सकता. क्योंकि जब विद्यालय चल रहा थी तो 10 से 20 हजार तक का बिल आने पर भी संचालक फायदे में थे. पूरी फीस समय पर आ रही थी. चलते स्कूलों में यह खर्च कोई मायने नहीं रखता. मगर कक्षाओं का संचालन बंद होने के बाद भी बिजली बिल 5 हजार आ रहा है जिसके कारण स्कूल संचालक घाटे में हैं और पूरी राशि उनकी जेब से जा रही है. जबकि फीस के नाम पर कुछ नहीं आ रहा. निजी स्कूल संघ ने कहा कि इस शुल्क से ही वे शिक्षकों और अन्य स्टॉफ का वेतन भुगतान करते हैं. स्कूलों की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है. स्कूल फिलहाल ट्यूशन शुल्क लेंगे. अन्य कोई शुल्क अभी नहीं लेंगे. जो बड़ी शिक्षण संस्थाएं हैं, वह घाटे में नहीं है. उनका मुनाफा इस साल जरूर कम होगा. छोटे निजी स्कूलों के सामने संकट है.
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