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Dr. Santosh Manav
क्या कांग्रेस पार्टी का पंजाब संकट बीजेपी के लिए वरदान साबित होगा? प्रश्न इसलिए कि राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता. राजनीति जितना संभावनाओं का खेल है, उतना ही अनिश्चित. यहां कुछ भी हो सकता है. सुबह का दोस्त, शाम को दुश्मन और सुबह का प्यादा शाम तक राजा. इसलिए प्रश्न हमेशा बरकरार रहते हैं. बावजूद इसके पंजाब के जो हालात हैं, वह यही कह रहे हैं कि अमरिंदर सिंह पंजाब में बीजेपी के नए पापाजी बनेंगे. कैसे? आइए, समझते हैं. कांग्रेस का संकट और बीजेपी के पापाजी से पहले पंजाब का सियासी गणित जानिए. पंजाब में सिख 58 फीसदी, हिंदू 39 फीसदी, मुस्लिम दो फीसदी से कम और ईसाई डेढ़ फीसदी के आसपास हैं. यानी मुख्यमंत्री तो कोई सिख ही बनेगा. यही कारण है कि अंबिका सोनी हों या सुनील जाखड़ CM बनते-बनते रह जाते हैं. लेकिन, ऐसा भी नहीं है कि कोई हिंदू नेता पंजाब का CM नहीं बना है. कांग्रेस के तीन हिंदू नेता पंजाब के CM बने हैं. इनके नाम हैं-गोपीचंद भार्गव, भीमसेन सच्चर और रामकिसन. तीनों पंजाब-हरियाणा के बंटवारे से पहले CM बने. 55 साल पहले हरियाणा, पंजाब से अलग हुआ, इन 55 साल में जो भी CM बने सिख थे. पंजाब में बीजेपी कभी बड़ी ताकत नहीं रही. वहां विधानसभा की 117 सीटें हैं.
2017 के विधानसभा चुनाव में अकाली दल ने गठबंधन के तहत बीजेपी को 20 सीटें दी थी, खुद 97 सीटों पर लड़ी. बीजेपी जीती 03 और अकाली 15, कांग्रेस 77, आप 19. किसान आंदोलन को लेकर 2020 में अकाली दल बीजेपी से यानी एनडीए से अलग हो गई. 1997 से जारी गठबंधन टूट गया. अब पंजाब में बीजेपी के पास न नेता हैं, न मजबूत संगठन और कोई सहयोगी दल. ऊपर से किसानों का क्रोध. ऐसे में तीन सीटें जीतना भी टेढ़ी खीर है. फिर क्या करेगी बीजेपी?
ऐसे में बीजेपी को पापाजी की तलाश है. पहले प्रकाश सिंह बादल पापाजी थे, अब अमरिंदर सिंह बनेंगे. हालात बता रहे थे कि अमरिंदर सिंह, बीजेपी में शामिल होंगे. वे अमित शाह से मिले, जेपी नड्डा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी उनके संभावित मुलाकात की चर्चा चली. कहा गया कि बीजेपी के लगभग हो गए हैं अमरिंदर. अब बादल कुछ छंटे हैं. अमरिंदर सिंह ने साफ किया है कि वे बीजेपी में नहीं जा रहे हैं. संकेत है कि वे रीजनल पार्टी बनाएंगे. बीजेपी से गठबंधन करेंगे. सत्ता में लौटने की कोशिश करेंगे. बीजेपी को भी अमरिंदर सिंह को पापाजी बनाने से गुरेज नहीं होगा. वे पटियाला राजपरिवार से हैं. 52 साल से राजनीति में हैं. 89 साल के हैं, लेकिन, स्वस्थ व सक्रिय हैं. पंजाब का नस-नस पहचानते हैं. 2014 की मोदी लहर में अमृतसर लोकसभा सीट से अरूण जेटली को हराकर साबित कर चुके हैं कि उनके पास भी आधार है. निराधार कतई नहीं हैं. बीजेपी को अमरिंदर सिंह इसलिए भी भाते हैं कि वे पाकिस्तान के खिलाफ बोलते रहे हैं. उन्होंने हाल ही में कहा कि नवजोत सिंह सिद्दू के इमरान खान और पाकिस्तान के आर्मी चीफ से गहरे संबंध हैं.
यानी बीजेपी और अमरिंदर सिंह का राष्ट्रवाद एक सरीखा है. इसलिए एक-दूसरे की स्वाभाविक पसंद भी हैं. बीजेपी को लगता है कि सिद्दू विवाद के बाद पस्त हुई कांग्रेस को अमरिंदर का अलगाव धराशायी कर देगा. अमरिंदर कह चुके हैं कि वे कांग्रेस छोड़ रहे हैं. पंजाब में बीजेपी के पास बड़ा चेहरा नहीं है. अमरिंदर के साथ से इस कमी की भरपाई हो जाएगी. अमरिंदर के रूप में बीजेपी को ताकत का सुपर डोज मिल जाएगा. और अगर अमरिंदर बीजेपी को पटाकर किसान कानून वापस करवा पाएं या मिनिमम सपोर्ट प्राइस की लिखित गारंटी दिलवा पाए, तो क्या पता चमत्कार हो जाए. सो, पापाजी और पुत्तरजी की जोड़ी जमने जा रही है. अब पंजाब की सत्ता के चार कोण होंगे. कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, अकाली दल-बसपा गठबंधन और पापाजी-पुत्तरजी गठबंधन. बीजेपी के नए वाले पापाजी को बधाई देंगे?
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