NewDelhi : भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल में हिस्सा लेने वाले एक वॉलंटियर की भोपाल में मौत हो जाने की खबर आयी है. 12 दिसंबर को कोरोना वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के दौरान टीका कंपनी ने वालंटियर को टीका लगाया था. लेकिन नौ दिन बाद उसकी मौत हो गयी. कंपनी ने उसकी मौत पर अपनी सफाई भी दी है. कहा कि वालंटियर की मौत का वैक्सीनेशन से कोई संबंध नहीं है.
भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज के द्वारा जारी पोस्टमार्टम रिपोर्ट के हवाले से भोपाल पुलिस ने कहा है कि मौत का संभावित कारण कार्डियॉरेस्पिरेट्री फेलियर हो सकता है, जो कि हो सकता है ज़हर के चलते हुआ हो. पुलिस मामले की जांच कर रही है.
As per post-mortem report by Gandhi Medical College, Bhopal that the site received from Bhopal Police, the probable cause of death was due to cardiorespiratory failure as a result of suspected poisoning and the case is under police investigation as well: Bharat Biotech https://t.co/u9otZgir0T
— ANI (@ANI) January 9, 2021
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वालंटियर को नियमों और शर्तों की जानकारी दी गयी थी
भारत बायोटेक की ओर से शनिवार को जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि वालंटियर (Vaccine volunteer) को वैक्सीन ट्रायल के लिए सभी नियमों और शर्तों की जानकारी दी गयी थी. कहा कि वैक्सीन का डोज देने के बाद अगले सात दिनों तक उसका हालचाल लिया गया था. इस दौरान उसमें किसी भी तरह के प्रतिकूल लक्षण नहीं मिले थे.
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वालंटियर की मौत का वैक्सीनेशन से कोई संबंध नहीं है
भारत बायोटेक के अधिकारी ने कहा कि कोरोना वैक्सीन के फेज-3 के ट्रायल के लिए वालंटियर सभी मानदंडों को पूरा कर रहा था. ट्रायल से पहले वह पूरी तरह से स्वस्थ था. जब उसे वैक्सीन की डोज दी गयी, उसके बाद भी उसके सेहत पर निगरानी रखी जा रही थी. डोज देने के सात दिनों के बाद जब उसके स्वास्थ्य की जांच की गयी तो उसमें कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं देखे गये थे. ट्रायल सेंटर की ओर से बताया गया है कि वालंटियर की मौत का वैक्सीनेशन से कोई संबंध नहीं है.
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वालंटियर को वैक्सीन दी गयी थी या प्लेसिबो
हालांकि, अभी तक यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि वालंटियर को वैक्सीन दी गयी थी या प्लेसिबो दिया गया था. बता दें कि प्लेसिबो का इस्तेमाल डॉक्टर्स यह जानने के लिए करते हैं कि दवा लेने से किसी शख्स पर मानसिक तौर पर क्या असर होता है. यह कोई दवा नहीं होती और इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता. कोरोना वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के दौरान सिर्फ 50 फीसदी लोगों को वैक्सीन का डोज दिया गया है. बाकी लोगों को प्लेसिबो दिया गया है.