NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट ने ऑल वेदर रोड (चारधाम) परियोजना पर मुहर लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में केंद्र के 8 सितंबर 2020 के आदेश में संशोधन की मांग मान ली है और निर्माण की अनुमति दे दी है. यानी चारधाम प्रोजेक्ट के तहत तीन सामरिक राजमार्गों को डबल लेन करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिल गयी है. रक्षा मंत्रालय इस मामले में गुजारिश की गयी थी, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लग गयी है.
चीनी सीमा तक पहुंचने में सेना को आसानी होगी
बता दें कि यह हाईवे रक्षा क्षेत्र से जुड़े हैं. इसके पूरे होने से चीनी सीमा तक पहुंचने में सेना को आसानी होगी. सुनवाई के क्रम में सुप्रीम कोर्ट द्वारा कमेटी बनाई गयी है, जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस एसके सीकरी करेंगे. समिति इसका ध्यान रखेगी कि परियोजना में पर्यावरण के हित को ध्यान में रखकर काम हो. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को परियोजना के एक हिस्से के रूप में 10 मीटर चौड़ाई की सभी मौसम-सड़कों के निर्माण की अनुमति दे दी है.
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NGO ने सड़क को डबल लेन बनाने को लेकर चुनौती दी थी
एक NGO ने सड़क को 10 मीटर तक चौड़ा डबल लेन बनाने को लेकर चुनौती दी थी. केंद्र सरकार द्वारा भारत चीन सीमा की ओर जाने वाली सड़क को चौड़ा करने की मांग की गयी थी. सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाल के दिनों में सीमाओं पर सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौतियां सामने आयी हैं. यह अदालत सशस्त्र बलों की ढांचागत जरूरतों का दूसरा अनुमान नहीं लगा सकती है.
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समिति हर चार माह में सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट करेगी
रक्षा मंत्रालय के अनुसार इस सड़क के निर्माण से भारतीय सेना को सीमा तक टैंक और हथियारों के साथ पहुंचने में काफी आसानी होगी और पर्वतीय क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बढ़ेगी. SC ने देश की रक्षा जरूरतों के आधार पर सरकार की अधिसूचना को सही ठहराया. हालांकि पर्यावरण से जुड़ी चिंताओं के लिहाज से कमेटी भी बना दी, जो सीधे SC को रिपोर्ट देगी. समिति हर चार माह में परियोजना की प्रगति पर सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट करेगी.
एजी की ओर से कहा गया है कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MORTH) और रक्षा मंत्रालय उन सभी चीजों पर गौर कर रहा है जिनको लेकर हाई पावर कमेटी ने चिंता जताई है. लेकिन ऐसा नहीं है. उठाये गये कदमों में पहाड़ों के कटने और कूड़ा-करकट फेंकने जैसे गंभीर मुद्दों पर कुछ नहीं किया जा रहा. आगे कहा गया कि रक्षा मंत्रालय के प्रस्ताव में सिर्फ उन रोडों का जिक्र है जो कि उनके मंत्रालय के लिहाज से जरूरी है. जबकि इस पूरे प्रोजेक्ट में 51 छोटे प्रोजेक्ट शामिल हैं.
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