Shailesh Singh
Kiriburu : पश्चिम सिंहभूम जिला स्थित एशिया का सबसे बड़ा सारंडा जंगल के किरीबुरु थाना क्षेत्र स्थित बराईबुरु और टाटीबा नामक दो गांव सारंडा का सबसे विकसित, व्यावहारिक व सहयोगी गांव के नाम से जाना जाता था. लेकिन अब यह गांव कुछ प्रतिष्ठित व प्रभावशाली लोगों के अवैध कारोबार व गतिविधियों में शामिल होने की वजह से जाना जाता है. यहां अब झारखंड और ओडिशा के लोग अवैध महुआ शराब की फैक्ट्रियों वाले गांव के नाम से जानने लगे हैं. इससे गांव की साख व प्रतिष्ठा खत्म हो रही है. बराईबुरु और टाटीबा गांव के जंगल क्षेत्रों में दर्जनों बडे़-बडे़ अवैध शराब की भट्ठियां संचालित हैं. यहां सालों भर दिन-रात अवैध महुआ शराब की चुलाई कर झारखंड व ओडिशा के विभिन्न शहरों में मोटरसाईकिल व अन्य वाहनों से अवैध विक्रय केन्द्रों में पहुंचाई जाती है. जहां शराब पीकर युवा वर्ग न सिर्फ बर्बाद बल्कि बीमार हो रहे हैं. घरेलू हिंसा, अपराध व आर्थिक तंगी के शिकार हो रहे हैं. पुलिस व अबकारी विभाग दोनों गांवों में अनेकों बार छापेमारी कर अब तक दर्जनों भट्ठियों को ध्वस्त कर इस धंधा से जुड़े कारोबारियों को लाखों रुपये का नुकसान पहुंचा चुकी है, लेकिन कुछ दिन बाद ही कारोबारी पुनः अपना कारोबार प्रारम्भ कर देते हैं. इस कारोबार में शामिल तमाम बडे़ चेहरे व हस्तियों के ऊपर आज तक पुलिस हाथ नहीं डाल पाई है. वे लोग आज तक जेल भी नहीं भेजे जा सके हैं. जेल जाने वालों में शराब चुलाई व ढुलाई करने वाले गरीब मजदूर ही शामिल होते हैं.
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शराब माफिया जंगल व प्रकृति के भी दुश्मन
सोमवार को ग्रामीणों की शिकायत व सूचना के बाद जब लगातार न्यूज के संवाददाता ने कई किलोमीटर जंगल-पहाड़ को चढ़ते व पार करते प्राकृतिक नाला किनारे व ऊंची पहाड़ी पर स्थित दो अवैध शराब फैक्ट्री में पहुंचे तो वहां का नजारा चौंकाने वाली थी. शराब चुलाई स्थल पर दर्जनों प्लास्टिक के सिनटेक्स व ड्रामों में हजारों लीटर जावा महुआ फुला कर रखा हुआ था. बगल में अनेक हंडियां चूल्हा पर चढ़ाई गई थी, जिसके सहारे आग जला महुआ शराब चुलाई किया जा रहा था. एक स्थान पर मासूम बच्चे भी मौजूद थे. चारों तरफ जंगल की लकड़ियां काट कर जमा की गई थी. लकड़ियों का अंबार देखने से यही प्रतीत हुआ कि ये शराब माफिया सारंडा जंगल व प्रकृति के भी सबसे बडे़ दुश्मन हैं. आसपास यूरिया खाद, चिनी, चुलाई किया हुआ ट्यूब में महुआ शराब आदि रखा हुआ था.
चुलाई मजदूरों को हर सप्ताह 1200 रुपए मजदूरी मिलती है
चुलाई करने वाले मजदूर ने बताया कि उसे इस कार्य के एवज में हर सप्ताह 1200 रुपये मजदूरी दी जाती है. उसने इस कारोबार में लिप्त बराईबुरु गांव के लोगों के नाम भी बताये, जिसके लिये वह काम करते हैं. दूसरी बहुत बड़ी फैक्ट्री हेम्ब्रम साई टोला के ऊपर ऊंची पहाड़ी पर था जो बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है. इस पहाड़ी पर नाला नहीं होने की वजह से मोटर द्वारा पाईप से पानी पहुंचाया गया था. लगातार न्यूज के संवाददाता को यहां आते देख संचालक द्वारा तेज गति से सभी भठ्ठीयों को तोड़ पाइप से आग बुझा दिया गया था, लेकिन यहां भी दर्जनों सिनटेक्स व ड्रामों में हजारों लीटर जावा महुआ फुलाया हुआ था. यहां भी भारी पैमाने पर जंगल की लकड़ियों को काट कर रखा हुआ था. शराब चुलाई में इस्तेमाल हंडी व अन्य उपकरण यथावत पडे़ थे.
शराब बिक्री बंद करने के लिए फूलो-झानो आशीर्वाद योजना शुरू की गई
सरकार ने हड़िया-दारु की बिक्री को बंद करने और महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए फूलो-झानो आशीर्वाद योजना शुरू की है. इसका लाभ अनेक महिला समूह उठा भी रही है. लेकिन जब तक ऐसी अवैध शराब भट्ठियां संचालित होती रहेंगी तब तक अवैध शराब व हड़िया की बिक्री कैसे रूक पायेगी. ऐसे कारोबार में लिप्त बड़ी मछलियां आखिर कब पकड़कर जेल भेजी जायेगी.