Chandigarh : हरियाणा सरकार ने डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को 21 दिन के फरलो पर रिहा करने के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली एक याचिका पर हाई कोर्ट में कहा कि डेरा सच्चा सौदा प्रमुख हत्या के मामलों में सीधे तौर पर शामिल नहीं है. कहा कि उसने वास्तविक रूप से हत्याओं को अंजाम नहीं दिया था. हरियाणा सरकार का मानना है कि डेरा प्रमुख को इन हत्याओं के सह-अभियुक्तों के साथ आपराधिक साजिश रचने के लिए ही दोषी ठहराया गया था.
हाई कोर्ट में पेश रिकार्ड के अनुसार डेरा प्रमुख को खालिस्तान समर्थक तत्वों से खतरा देखते हुए प्रदेश सरकार ने जेल से फरलो पर रिहाई के बाद उसे जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा दी है. खबरों के अनुसार जेल अधीक्षक सुनील सांगवान ने सोमवार को इस मामले में कुछ दस्तावेज कोर्ट के रिकार्ड में रखे. रिकार्ड के अनुसार डेरा प्रमुख को रिहा करने की प्रक्रिया महाधिवक्ता (एजी) की कानूनी राय लेने के बाद शुरू की गयी थी.
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डेरा प्रमुख को हार्ड कोर क्रिमिनल की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता
महाधिवक्ता ने 25 जनवरी को अपनी राय में कहा था कि डेरा प्रमुख को हरियाणा गुड कंडक्ट प्रिजनर्स (अस्थायी रिहाई) अधिनियम के तहत हार्ड कोर क्रिमिनल की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता. एजी के अनुसार, डेरा प्रमुख को इन हत्याओं के लिए अपने सह-अभियुक्तों के साथ आपराधिक साजिश रचने के लिए ही दोषी ठहराया गया है, वास्तविक हत्याओं के लिए नहीं . रिकार्ड के अनुसार, डेरा प्रमुख ने अपनी बीमार मां के इलाज और अपने परिवार के सदस्यों से मिलने के लिए 42 दिनों की पैरोल पर रिहा होने के लिए पहली बार 17 जनवरी को आवेदन किया था.
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रोहतक के आयुक्त को डेरा प्रमुख की फरलों पर अनापत्ति दे दी
आवेदन जेल अधीक्षक ने डीजीपी (जेल) को भेजा था. डीजीपी ने इसे अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) को भेज दिया था. इसे कानूनी राय के लिए महाधिवक्ता हरियाणा के पास भेजा गया, एजी की राय के बाद कि वह हार्ड कोर क्रिमिनल की श्रेणी में नहीं आता है. जानकारी के अनुसार 31 जनवरी को डेरा प्रमुख ने गुरुग्राम में रहने वाले अपने परिवार के सदस्यों से मिलने के लिए फरलो पर रिहाई के लिए एक और आवेदन दिया. हार्ड कोर क्रिमिनल नहीं होने व डेरा प्रमुख द्वारा कारावास की सजा की अवधि के दौरान जेल में कोई अपराध न करने के सभी प्रासंगिक कारणों को देखते हुए जेल अधीक्षक ने उसकी रिहाई की प्रक्रिया शुरू की.
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बुधवार को याची पक्ष द्वारा जवाब दायर किया जायेगा
पुलिस आयुक्त गुरुग्राम ने पांच फरवरी को रोहतक के आयुक्त को तीन सप्ताह की अवधि के लिए डेरा प्रमुख की फरलों पर अनापत्ति दे दी. बता दें कि हाई कोर्ट में सौंपी गयी अपनी रिपोर्ट में राज्य सरकार ने यह दावा किया है कि अगर यह भी मान लिया जायेकि वह एक हार्ड कोर क्रिमिनल है तो फिर भी उसे फरलो पर रिहा होने का अधिकार है, क्योंकि उसने जेल में पांच साल पूरे कर लिये हैं. जानकारी के अनुसार सोमवार को सरकार द्वारा यह रिकार्ड हाई कोर्ट की रजिस्ट्री में दायर कर कर दिया गया है. सरकार के रिकार्ड व जवाब पर बुधवार को याची पक्ष द्वारा जवाब दायर किया जायेगा.