NewDelhi : खबर है कि दिल्ली विश्वविद्यालय की लॉ फैकल्टी ने शनिवार को वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण का तय समय से 20 मिनट पहले रोक दिया. जानकारी के अनुसार प्रशांत भूषण Challenges to the Indian constitution नामक विषय पर वार्ता करने के लिए यहां पहुंचे थे. लेकिन फैकल्टी ने छात्रों के व्यवहार का हवाला देते हुए उनका कार्यक्रम रद्द कर दिया. हालांकि लॉ फैकल्टी कैंपस में बोलने से मना किये जाने के बाद प्रशांत भूषण ने सड़क पर एक छोटा व्याख्यान दिया.
“DU’s Law Faculty cancels Prashant Bhushan’s talk on Challenges to the Constitution, at last minute, cites student unrest.
After he was denied entry to speak inside the Law Faculty campus, Bhushan ended up delivering a short lecture outside on the road”.https://t.co/t65WzSbMuk— Prashant Bhushan (@pbhushan1) March 27, 2022
प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया है कि विषय को देखते हुए कार्यक्रम को रद्द करने का दबाव था, क्योंकि मौजूदा मोदी सरकार के खिलाफ उनका रुख था. इस मामले में लॉ फैकल्टी की डीन उषा टंडन ने कहा कि यह सूचित किया जाता है कि सीएलसी (Campus law centre) के कुछ छात्रों द्वारा आयोजित Challenges to the Indian constitution’ से संबंधित कार्यक्रम के आयोजन की अनुमति रद्द कर दी गयी है. कहा कि सेमिनार और कान्फ्रेंस रूम बुकिंग समिति की बैठक के निर्णय के अनुसार 25 मार्च से छात्रों के असहनीय व्यवहार के कारण यह निर्णय लिया गया है.
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अधिकारियों ने पुलिस को बुला लिया
आयोजकों में शामिल एक छात्र विवेक राज का कहना था कि हमें सेमिनार हॉल में कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति थी. हम कल शाम से चाबी भी मांग रहे थे लेकिन हमें नहीं दी गयी. हमने उन्हें बताया कि महामारी के कारण पिछले दो साल से कमरा बंद है, इसलिए हमें कमरा साफ करने और उसे ठीक करने के लिए चाबी की जरूरत है. इसके बाद हमने विरोध शुरू किया, तो अधिकारियों ने पुलिस को बुला लिया.
कार्यक्रम को रद्द करने का फैसला ऊपर से लिया गया
हंगामे के बीच डिप्टी प्रॉक्टर गुंजन गुप्ता ने बताया कि कार्यक्रम को रद्द करने का फैसला ऊपर से लिया गया है. आज नोटिस में वे कह रहे हैं कि यह हमारे व्यवहार के कारण है. कार्यक्रम रद्द करने के पीछे का कारण पूछे जाने पर प्रॉक्टर गुप्ता ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि वे इस मामले में सही व्यक्ति हैं. कहा कि आपको अधिकारियों से बात करनी चाहिए.
विश्वविद्यालय के अधिकारियों को राजनीतिक आकाओं से निर्देश मिला
प्रशांत भूषण ने कहा कि अधिकारियों ने अनौपचारिक रूप से आयोजन करने वाले छात्रों से कहा था कि बातचीत की अनुमति नहीं दी जायेगी. विश्वविद्यालय के अधिकारियों को अपने राजनीतिक आकाओं से कुछ निर्देश मिला होगा कि आप प्रशांत भूषण को यहां भाषण देने की अनुमति कैसे दे सकते हैं? मैं आज गया, क्योंकि छात्रों से मिलना मेरा कर्तव्य और जिम्मेदारी थी. आज का दिन एक उदाहरण था कि जिस वक्ता के विचार इस सरकार के खिलाफ हैं, उसे इस विश्वविद्यालय में बोलने की अनुमति नहीं दी जायेगी.
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