Washington : अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिका भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड की निगरानी कर रहा है. उन्होंने कहा कि भारत में मानवाधिकार हनन के मामलों में वृद्धि हुई है. ब्लिंकन प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे. बता दें कि भारत-अमेरिका टू-प्लस-टू वार्ता के बाद सोमवार को दोनों देशों के विदेश मंत्रियों और रक्षा मंत्रियों ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया. इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमेरिका ने भारत को नसीहत दे डाली. जान लें कि अमेरिका ने इससे पहले भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर इस तरह की कोई टिप्पणी नहीं की है.
एक उपयोगी और सारवान 2+2 मंत्रिस्तरीय बैठक का समापन हुआ।
समकालीन चुनौतियों और मुद्दों पर खुले और रचनात्मक तरीके से चर्चा हुई। संकल्प लिया कि हमारी रणनीतिक साझेदारी आगे बढ़ती रहेगी और विश्व की दिशा को तय करने में रचनात्मक भूमिका निभाएगी। https://t.co/2d7jWBxoLa
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) April 12, 2022
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विदेश मंत्री का यह बयान भारत के लिए एक फटकार है!
जानकारों का मानना है कि भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में अमेरिकी विदेश मंत्री का यह बयान भारत के लिए एक फटकार है.समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार ब्लिंकन ने भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर बात करते हुए कहा, हम मानवाधिकार के इन साझा मूल्यों पर अपने भारतीय भागीदारों के साथ नियमित रूप से बात करते हैं. हम भारत के कुछ हालिया घटनाक्रमों की निगरानी कर रहे हैं जिनमें मानवाधिकार हनन के मामले शामिल हैं. कहा कि हमने सरकार, पुलिस और जेल अधिकारियों द्वारा मानवाधिकारों के हनन में बढ़ोतरी देखी है.
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जो बाइडेन की सरकार मोदी गवर्नमेंट की आलोचना नहीं करना चाहती
हालांकि ब्लिंकन ने भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर विस्तार से बात करने से परहेज किया. अपने संबोधन में भारतीय विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री ने ब्लिंकन की टिप्पणी पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. ब्लिंकन की टिप्पणी अमेरिकी प्रतिनिधि इल्हान उमर की उस आलोचना के कुछ दिनों बाद आयी है जिसमें उमर ने कहा था कि भारत में मानवाधिकार हनन को लेकर जो बाइडेन सरकार मोदी सरकार की आलोचना नहीं करना चाहती.
जो बाइडेन की डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़े उमर ने कहा था, इससे पहले कि हम भारत को शांति का भागीदार मानना बंद कर दें, मोदी को भारत की मुस्लिम आबादी के साथ और क्या करने की जरूरत है?
दक्षिणपंथी हिंदू समूहों ने अल्पसंख्यकों पर हमले शुरू कर दिये हैं
मोदी सरकार के आलोचकों का मानना है कि उनकी हिंदू राष्ट्रवादी सत्ताधारी पार्टी ने 2014 में सत्ता में आने के बाद से धार्मिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा मिला है. आलोचकों का आरोप है कि मोदी के सत्ता में आने के बाद से ही दक्षिणपंथी हिंदू समूहों ने अल्पसंख्यकों पर हमले शुरू कर दिये हैं. कहा गया कि 2019 में जब मोदी सरकार ने नागरिकता कानून पारित किया था तब भी सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ा.
इस कानून के जरिए भारत सरकार ने पड़ोसी देशों के मुस्लिम प्रवासियों को देश से निकाल कर भारत के धर्मनिरपेक्ष संविधान को कमजोर करने की कोशिश की है. कानून मुस्लिमों को छोड़कर बौद्धों, ईसाइयों, हिंदुओं, जैनियों, पारसियों और सिखों को भारत की नागरिकता देने के लिए था, जो 2015 से पहले अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से भागकर भारत आये थे. 2019 में भी नरेंद्र मोदी सरकार जब दोबारा सत्ता में आई तब उसने जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया.