New Delhi : भड़काऊ भाषण के एक मामले में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा में राहत मिल गयी है. इस सिलसिले में माकपा नेता वृंदा करात की याचिका खारिज हो गयी है. दिल्ली हाईकोर्ट ने अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश देने की मांग वाली याचिका सोमवार को खारिज कर दी. वृंदा करात ने एक निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए यह याचिका दायर की थी.
Delhi HC dismissed the petition moved by CPI(M) leader Brinda Karat challenging a trial court order which had dismissed her plea seeking an FIR against Union Minister Anurag Thakur & BJP MP Parvesh Sahib Singh Verma for allegedly delivering hate speeches in the year 2020.
— ANI (@ANI) June 13, 2022
वर्ष 2020 का है मामला
याचिका में अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के खिलाफ कथित तौर पर सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान वर्ष 2020 में नफरत भरे भाषण देने के लिए एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी. इससे पहले निचली अदालत ने केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा के खिलाफ वर्ष 2020 में कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के लिए एफआईआर दर्ज करने की मांग करने वाली वृंदा करात की याचिका को खारिज कर दिया था. जस्टिस चंद्रधारी सिंह ने 25 मार्च को उस याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया था जिसमें दावा किया गया था कि दोनों नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए क्योंकि इनके खिलाफ एक संज्ञेय अपराध बनता है और वे केवल पुलिस से मामले की जांच करने के लिए कह रहे थे.
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लोगों को उकसाने की कोशिश का लगाया था आरोप
याचिकाकर्ता ने निचली अदालत के समक्ष अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा ने लोगों को उकसाने की कोशिश की थी जिसके परिणामस्वरूप दिल्ली में दो अलग-अलग विरोध स्थलों पर गोलीबारी की तीन घटनाएं हुईं. वृंदा करात ने अक्टूबर 2021 में निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसे इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि सक्षम प्राधिकारी से अपेक्षित मंजूरी नहीं ली गई थी, जो कानून के तहत जरूरी है.
निचली अदालत में शिकायत दर्ज कराई थी
ट्रायल कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि एफआईआर दर्ज करने के आदेश के चरण में आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 196 के अनुसार, केंद्र सरकार की सक्षम प्राधिकारी की पूर्व मंजूरी आवश्यक है, क्योंकि दोनों व्यक्ति संसद सदस्य हैं. माकपा नेता वृंदा करात और केएम तिवारी ने निचली अदालत के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी और अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए संसद मार्ग थाने को निर्देश देने की मांग की थी.
एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की थी
करात ने याचिका के माध्यम से दिल्ली पुलिस को अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के खिलाफ आईपीसी की धाराओं 153 ए (धर्म, नस्ल के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 153 बी (आरोप, राष्ट्रीय-एकता के लिए पूर्वाग्रही दावे), 295A (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य, धार्मिक भावनाओं को आहत करने के उद्देश्य से) और 505 (सार्वजनिक शरारत के लिए प्रेरित करने वाले बयान) के तहत एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की थी.
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