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Ranchi: सिकिदिरी जल विद्युत परियोजना घोटाले के दोषियों को बचाने की कोशिश रघुवर सरकार में की जा रही थी. यह आरोप लगाया है रघुवर सरकार में मंत्री रहे सरयू राय ने. सरयू ने कहा कि उन्होंने 2012 में सिकिदिरी जल विद्युत परियोजना घोटाला का मामला उठाया था. उन्होंने कहा कि घोटाला में दोषियों को बचाने की कवायद 2015 से चल रही थी. हेमंत सोरेन द्वारा दोषियों पर मुक़दमा चलाने की अनुमति देने से दोषियों को संरक्षण देने वाले बेनकाब हो गए हैं. भेल ने अपने दोषी अधिकारियों को पहले ही दंडित कर दिया था, लेकिन झारखंड सरकार अबतक मौन रही.
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मैनहर्ट, टॉफी-टी-शर्ट घोटाले के दोषियों पर क्यों रुका हुआ है FIR
सरयू ने कहा कि सिकिदिरी जल विद्युत परियोजना में भ्रष्टाचार का मामला उन्होंने ठोस सबूत के आधार पर 2011-12 में उठाया था. सीबीआई ने जांच की. उनके लगाये आरोप सही पाए गए, लेकिन झारखंड सरकार दोषियों के विरूद्ध मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं दे रही थी. अब हेमंत सरकार ने अनुमति दे दी है. इसके लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद, लेकिन मैनहर्ट, टॉफी, टी-शर्ट, सुनिधि चौहान घोटाला के दोषियों पर एफआईआर क्यों रोके हुए हैं?
सोमवार को मुख्यमंत्री ने दी थी अभियोजन की स्वीकृति
सोमवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 2011-12 के दौरान ऊर्जा विभाग में हुए भ्रष्टाचार के मामले में अभियोजन की स्वीकृति दी है. गौरतलब है कि 2.5 करोड़ रुपये के कार्य को 20.87 करोड़ में भेल को दिया गया था, जिसमें प्राथमिक अभियुक्त राज्य विद्युत बोर्ड के तात्कालिक अध्यक्ष शिवेन्द्र नाथ वर्मा और राज्य विद्युत बोर्ड के तात्कालीन सदस्य (वित्त) के खिलाफ सीबीआई और एसीबी ने प्राथमिकी दर्ज की थी.
2.5 करोड़ का काम 20.87 करोड़ में भेल को दिया गया था
प्राथमिकी अभियुक्तों पर आरोप है कि इन्होंने 2011-2012 में झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड, भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल), भोपाल एवं मेसर्स नॉर्दन पावर इरेक्टर लिमिटेड (एनपीईएल) के पदाधिकारियों के साथ मिलीभगत कर बेईमानी से स्वर्णरेखा हाइड्रो इलेक्ट्रसिटी प्रोजेक्ट (सिकीदरी) की मरम्मती और रख-रखाव के लिए मनोनयन के आधार पर 2.5 करोड़ रुपये के कार्य को बहुत ही ऊंचे दर 20.87 करोड़ रुपये में भेल को दे दिया.
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