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Anand Singh
जो लोग यह कह कर अपनी मूंछों पर ताव देते हैं कि वे भारत के पुरुष प्रधान समाज से बिलांग करते हैं, उन्हें एक बार नार्थ ईस्ट के बारे में पढ़ लेना चाहिए. मातृ सत्ता कैसे काम करती है, कितना बढ़िया काम करती है, इसका बेस्ट एग्जाम्पल नार्थ ईस्ट में मिलता है.
बस की बाईं रा महिलाओं के लिए रिजर्व
आप अगर गुवाहाटी में हैं और मां कामाख्या के दर्शन हेतु जा रहे हैं, तो आपको गाइड पहले ही बता देगा-बस की बाईं सीट पर नहीं बैठना है. स्टार्ट से 6 नंबर रा तक. ये सीटें बस में महिलाओं के लिए रिजर्व रहती हैं.
पुरुष घर, महिलाएं दफ्तर संभालती हैं.
अगर आप असम के तिनसुकिया, ग्वालपाड़ा या किसी भी अन्य जिले में जाएंगे, तो आप देखेंगे कि पुरुष घर के कार्य कर रहे हैं. झाड़ू-पोछा से लेकर सब्जी लाने-बनाने तक, बच्चे को तैयार करने से लेकर उसे स्कूल भेजने तक और स्कूल से लाने तक. यह असम की स्थिति है.
अगर आप शिलांग जा रहे हैं तो यह दृश्य आम होगा. वहां महिलाएं नौकरी करती हैं, बाहर का काम करती हैं. पुरुष घर संभालते हैं. घर का काम करते हैं. यह पूरे मेघालय में आपको देखने को मिल जाएगा.
मकान फाइनल तो महिला ही करेगी
अगर आप गुवाहाटी में हैं और किराये का मकान खोज रहे हैं, तो पुरुष तो आपसे बात कर लेगा. फाइनल महिला ही करेगी. क्या किराया होगा, कैसे किराया देना है, उसके घर में कैसे रहना है, वेज-नानवेज खाना बनाना है तो उसका वेस्ट कहां फेंकना है, ये सब आपको घर की महिला ही बताएगी.
नार्थ ईस्ट के राज्यों को सेवन सिस्टर्स भी कहते हैं. इससे भी आप समझ सकते हैं कि यहां पितृ सत्ता नहीं, मातृ सत्ता ही चलती है.
पुरुष नहीं, महिला जाती है बारात लेकर
नार्थ ईस्ट के कई इलाकों में यह देखा गया है कि उत्तर भारत के उलट पूर्वोत्तर भारत में पुरुषों की बजाए महिलाएं बारात लेकर जाती हैं. कई जगहों पर पुरुष भी बारात लेकर जाते हैं पर जिस पुरुष की शादी होती है, जहां वह बारात लेकर जाता है, वहीं का होकर रह जाता है. यानी, उसका ससुराल ही अब सब कुछ हो गया. चलती है उसकी पत्नी की. पति को, पत्नी के हिसाब से रहना पड़ता है.
बिजनेस में भी महिलाएं
नार्थ ईस्ट की कई जनजातियां ऐसी हैं जो आज भी मातृसत्तात्मक व्यवस्था को ही पसंद करती हैं. अगर उनके पास नौकरी नहीं है तो वह बिजनेस करेंगी. अगर पुरुष उसका सहयोग करता है तो ठीक अन्यथा वह किसी से सहयोग की कामना भी नहीं करती. वह अपना काम खुद कर लेती है.
बाहरी लोग लूटते हैं अस्मत
एक बात और. पूरे नार्थ ईस्ट में महिलाओं की जबरदस्त इज्जत की जाती है. इन्हें गलत निगाहों से नहीं देखा जाता. यही कारण है कि नार्थ ईस्ट में स्थानीय लोग किसी भी महिला के साथ अमूमन गलत व्यवहार नहीं करते. हां, आप जो गलत व्यवहार की खबरें पढ़ते-देखते-सुनते हैं, उनमें असली कलप्रिट वो होते हैं, जो बाहर से आकर वहां बस जाते हैं. ऐसी शर्मनाक और घिनौनी हरकतें बाहरी लोग ही करते हैं. यही वजह है कि गारो जैसी जनजाति के लोग बाहरी लोगों को देखते ही उखड़ जाते हैं. बाहरी लोगों ने अपनी तृष्णा की पूर्ति के लिए जब-जब भी नार्थ ईस्ट की महिलाओं को अपनी हवस का शिकार बनाया, तब-तब उन लोगों का गुस्सा भड़का है. आप देश भर का क्राइम का डाटा निकाल कर देख लें। दुष्कर्म की घटनाओं का सबसे कम आंकड़ा आपको नार्थ ईस्ट में ही मिलेगा. वजह साफ हैः स्थानीय लोग महिलाओं में इस दौर में भी मां कामाख्या का ही रूप देखते हैं.
कभी मौका मिले तो नार्थ ईस्ट घूम कर आईए। वहां की जनजातियों के बीच थोड़ा वक्त गुजारिए. देखिए, वो कैसे रहते हैं. कैसी उनकी संस्कृति है. निश्चित तौर पर आपको एक सुखद अनुभूति होगी.
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