Bermo: झारखंड राज्य आवास बोर्ड के आवास को खाली करने के आदेश के बाद लोगों में बैचेनी बढ़ गयी है. इसे लेकर एक व्यक्ति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. बता दें कि 12 जून को झारखंड राज्य आवास बोर्ड के गोमिया (आईईएल) स्थित अतिक्रमित जमीन को खाली कराने के लिए प्रशासन ने आदेश दिया था. लेकिन विधायक, पूर्व विधायक और राजनीतिक दल के नेताओं के हस्तक्षेप के बाद तत्काल पांच दिन की राहत दी गयी थी. समय पूरा होने के बाद हटने की बजाय लोगों ने कोर्ट की शरण ली.
कहा गया था कि पांच दिन के अंदर कोई स्टे आदेश नहीं मिला तो अतिक्रमण हटाने की दिशा में पूर्व के आदेश का पालन करते हुए कार्रवाई की जाएगी. लेकिन पांच दिन बाद भी कोई हल नहीं निकला. तब बोकारो डीसी ने 19 जून को आवास खाली करने का आदेश जारी किया. पुनः आवास बोर्ड के निवासियों विनती पर 22 जून तक आखिरी मोहलत दी गई है. दरअसल झारखंड राज्य आवास बोर्ड की अर्जित भूमि से अतिक्रमण हटाने के आदेश मिलने से उक्त आवास में निवास कर रहे लोग डरे हुए हैं. बरसात का मौसम आ गया है. ऐसे समय में वे कहां जाएंगे.
उन्होंने स्थानीय विधायक डॉ लंबोदर महतो, बेरमो के विधायक कुमार जयमंगल, पूर्व मंत्री माधव लाल सिंह, पूर्व विधायक योगेंद्र प्रसाद और राजनीतिक दल के स्थानीय नेताओं से मिलकर राहत दिलाने की मांग की थी. नेताओं ने मुख्यमंत्री से लेकर अधिकारियों से बात कर तत्काल अतिक्रमण हटाने के आदेश पर रोक लगाने की मांग की. इस दौरान दौरान गोमिया कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पंकज पांडेय के नेतृत्व में बोकारो डीसी से मिलकर भी गुहार लगाई थी. अब 22 जून तक यदि कोर्ट से कोई आदेश नहीं मिला तो प्रशासन के आदेश लागू होना तय है.
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क्या है आदेश
मिली जानकारी के अनुसार झारखंड राज्य आवास बोर्ड की अर्जित भूमि को कब्जे से मुक्त कराने के लिए झारखंड हाईकोर्ट ने आदेश दिया है. कोर्ट के आदेश के बाद स्थानीय प्रशासन अतिक्रमण हटाने की दिशा में तत्पर है. आदेश का अनुपालन कराने के लिए सरकार के सचिव विनय कुमार चौबे ने बोकारो डीसी और एसपी को कोर्ट के आदेश के तहत आवास बोर्ड की अर्जित जमीन को मुक्त कराने का निर्देश दिया है. उक्त आदेश के बाद आवास बोर्ड के जमीन पर निवास कर रहे लोगों की नींद उड़ गई है. आदेश पत्र में कहा कि 12 जून को उक्त जमीन से कब्जा मुक्त करायें. अब 22 जून तक आखिरी मौका दिया गया है.
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