Kiriburu/Noamundi (Shailesh/Sandeep ): अंग्रेजी विषय में होने वाले नवीन अवधारणात्मक विकास को आत्मसात करने के साथ-साथ पाठ्य सामग्रियों का अधिकाधिक प्रयोग करके शिक्षण कार्य को रुचिपूर्ण तरीके से प्रस्तुत करना वर्तमान में महती आवश्यकता है. यह बातें पद्मावती सरस्वती शिशु मंदिर नोवामुंडी की प्रधानाचार्या सीमा पालित ने कही. विद्या विकास समिति के तत्वावधान में विषयिक समझ के प्रसार के लिये विषयों के संकुल स्तरीय प्रशिक्षण के आयोजन के क्रम मे 25 जून को अंग्रेजी विषय के विस्तार और उसकी संकल्पनाओं को भैया-बहनों (खासतौर पर ग्रामीण पृष्ठभूमि से संबंधित) तक रुचिपूर्ण तरीके से पहुंचाने के तरीके और उसके रास्ते में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की गयी. स्कूल परिसर में एक दिवसीय संकुल स्तरीय अंग्रेजी विषयक आचार्य प्रशिक्षण वर्ग आयोजित किया गया था.
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ये थे मौजूद
कार्यक्रम में विद्यालय की प्रधानाचार्या सीमा पालित, विद्यालय की प्रबंध समिति के अध्यक्ष सुनील कुमार सिंह, गौरी प्रसाद रुंगटा सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, हाट गम्हारिया के प्रधानाचार्य रमाशंकर पांडे एवं सीताराम रुंगटा सरस्वती शिशु विद्या मंदिर कोटगढ़ के प्रधानाचार्य धन बहादुर लामा आदि मौजूद थे. इनकी ओर से संयुक्त रूप से दीप जलाकर और माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरूआत की गयी.वंदना के बाद कार्यक्रम के उद्बोधन सत्र में, गुरु मां ने अंग्रेजी शिक्षण को रुचिपूर्ण एवं व्यावहारिक बनाने हेतु, पठन पाठ्य सामग्रियों के अधिकाधिक इस्तेमाल एवं नन्हे बच्चों के अंग्रेजी ज्ञान को दैनिक गतिविधियों से जोड़कर उनके भाषाई विकास पर जोर दिया.
जगन्नाथपुर संकुल के सभी विद्यालयों से आने वाले कुल आचार्य दीदियों ने अलग-अलग सत्रों में अलग-अलग विषयों पर सामूहिक चर्चा की. प्रशिक्षण के दौरान भैया-बहनों के भाषाई विकास की सुदृढ़ता के लिए रीडिंग एवं राईटिंग स्कील के समुचित विकास पर जोर देने की बात पर आपसी सहमति बनी. रमाशंकर पांडे ने अंग्रेजी शिक्षा के विकास पर कहा कि मनोविज्ञान को समझ कर ही उनके भाषागत ज्ञान एवं समझ को संपुष्ट किया जा सकता है. धन बहादुर लामा ने कहा कि अंग्रेजी भाषा एक अविरल नदी के प्रवाह स्वरूप है. इसे बदलते समय के अनुसार नए बदलाव को आत्मसात करके नित प्रवाहित होते रहना चाहिए. इसी में इसकी सार्थकता है.
इन्होंने लिया प्रशिक्षण
प्रशिक्षण में पद्मावती जैन सरस्वती शिशु मंदिर, नोवामुंडी से वैजयंती पान एवं गायत्री सोलंकी, जगन्नाथपुर शिशु विद्या मंदिर से तानिया पाड़ेया, एवं विकास कुमार प्रधान, गौरी प्रसाद रुंगटा सरस्वती शिशु मंदिर, हाट गमहारिया से अभिषेक भार्गव, सीताराम रुंगटा सरस्वती शिशु मंदिर, कोटगढ से संध्या रानी प्रधान, पद्मावती जैन सरस्वती शिशु विद्या मंदिर जैंतगढ़ से आचार्य बृजमोहन गोप, ज्ञानचंद जैन सरस्वती शिशु मंदिर, बड़ाजामदा से रूपा बनर्जी आदि प्रशिक्षण में शामिल थे.
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