Shruti prakash singh
Ranchi: झारखंड में वज्रपात कहर बनकर गिरा है. राज्य में पिछले 11 सालों में वज्रपात से 1,699 लोगों की मौत हो गई. अगर इस मॉनसून की बात करें तो अभीतक 14 लोगों की मौत वज्रपात से हो चुकी है. इसे देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग ने मौसम विज्ञान केंद्र को निर्देश दिया है कि इससे संबंधित अलर्ट को हर घंटे जिलों में भेजे. मौसम विज्ञान केन्द्र ने इस दिशा में कदम उठाया और लगातार जिलों में इसकी सूचना भेज रहा है. इससे ग्रामीण इलाकों में वज्रपात से होने वाली मौत कम- से- कम होगा.
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11 सालों में 1,699 मौत
2010-11 : 110
2011-12 : 104
2012-13 : 148
2013-14 : 159
2014-15 : 144
2015-16 : 210
2016-17 : 265
2017-18 : 256
2018-19 : 172
2019-20 : 117
2021-22 ( जून महीने तक) : 14
लोगों को किया जा रहा जागरूक
मौसम विभाग के मुताबिक झारखंड में जुलाई और अगस्त में सबसे अधिक वर्षा होती हैं, दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के दौरान वज्रपात की संभावनें और अधिक बढ़ जाती है. आपदा प्रबंधन विभाग के दिशा-निर्देश पर राज्य में वज्रपात से लोगों को बचाने के लिए हर जिला में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. अभियान में वीडियो क्लिप, ऑडियो और एसएमएस का उपयोग हो रहा है, ताकि लोग वज्रपात से अलर्ट हो सकें. लोगों से अपील की गयी है कि वो बचाव के उपाय को अपनाएं और अपनी जान की सुरक्षा करें.
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ऐसे करें बचाव
-बारिश होने के समय खेती से जुड़े कार्यों को तत्काल बंद कर दें
-बारिश के समय तालाब, नदी, नहर या किसी भी जल निकाय में जानवरों को धोने या मछली पकड़ने का कार्य बंद कर दें
-नौका का परिचालन बंद कर दें
-यदि घर के अंदर हों तो छत पर न जाएं
-यदि आप घर में हैं, तो खिड़की के पास या दरवाजे के बाहर न खड़े हों
-बिजली के उपकरणों के प्लग निकाल दें.
-ऐसी वस्तुएं जो बिजली का सुचालक हो उससे दूर रहें. जैसे प्लग, फ्रीज आदि
-लोहे की पाइप को न छूएं. नल से बहते पानी का उपयोग न करें
-धातु से बने छत वाले घर के अंदर शरण न लें
-बच्चों को खुले स्थानों में न जाने दें
-स्थानीय रेडियो, मोबाइल फोन या अन्य संचार के साधनों से मौसम की जानकारी प्राप्त करते रहें