Seraikela(Bhagya sagar singh) : सुबह होते ही मछली बाजार में दीखने वाली भीड़ पवित्र सावन माह के शुभारम्भ होते ही सन्नाटे में बदल गयी है, इक्का दुक्का ग्राहक ही खरीदारी करने आ रहे हैं. मछली और मीट विक्रेताओं के अनुसार सरायकेला के बाजार में प्रतिदिन लगभग ढाई क्विंटल मछली और एक क्विंटल मुर्गे की औसतन बिक्री होती है. त्योहार और साप्ताहिक हाट में बिक्री कुछ अधिक रहती है. सावन के आते ही मछली की बिक्री मात्र 50-60 किलो तक सिमट कर रह गयी है. सावन में भी कुछ लोग मिट मछली खाने से परहेज नहीं करते हैं. परन्तु जिले के कुछ स्थानों पर डायरिया के मरीज मिलने से खान-पान को लेकर लोग अतिरिक्त सावधानी बरतने लगे हैं.
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मछली मीट कारोबारियों पर दो महीने भारी
प्रतिवर्ष सावन माह से मछली और मीट की बिक्री में जो गिरावट आती है लगभग दो माह तक स्थिर नहीं होती है. आश्विन महीने से ही इनका बाजार जोर पकड़ता है. ये दो महीने मछली- मीट के कारोबार से जुड़े लोगों पर भारी पड़ता है. ये काफी अल्प पूंजी से अपना धंधा चलाते हैं. मछली के थोक विक्रेता या तालाब वालों से उधार पर लेकर अधिकतर कारोबारी अपनी दुकानदारी चलाते हैं. खरीद कीमत लौटाने के बाद जो बचत होती है उसी से इनका परिवार चलता है. कुछ यही स्थिति मुर्गे व बत्तख कटिंग कर बेचने वालों की भी होती है.
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