Niraj kumar
Dhanbad: धनबाद (Dhanbad) प्रत्येक वर्ष जून से सितंबर के बीच पूरे देश में दक्षिण-पश्चिम मानसून के बादल लगभग एक हज़ार मिलीमीटर बारिश का उपहार देते हैं. झारखंड में भी इसी अवधि में होने वाली बारिश यहां के निवासियों के लिए मुख्य फसल धान के खेती का आधार देती है. इस वर्ष 17 से 19 जून के बीच संताल के रास्ते राज्य में लगभग सही समय पर दक्षिण-पश्चिम मानसून का प्रवेश हुआ, लेकिन आने के साथ रूठ भी गया. पूरे दो माह मानसून के बादल आते-जाते रहे, मगर 38 प्रतिशत कम बरसे. धनबाद जिले में सामान्य से 36 प्रतिशत कम बारिश हुई है. जबकि कुछ जिलों में सामान्य से 72 प्रतिशत तक कम बारिश हुई. हालांकि आंकड़े थोड़े सुधरे हैं, लेकिन समय पर बारिश नहीं होने के कारण कोयलांचल व संताल के जिलों में औसतन 5 प्रतिशत भी धनरोपनी नहीं हुई है.
राज्य में 700.5 के स्थान पर मात्र 436.3 मिमी बारिश
मौसम विभाग की 19 अगस्त की रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में इस अवधि तक सामान्यतया 700.5 मिलीमीटर बारिश दर्ज की जाती रही है, लेकिन अब तक इस अवधि में मात्र 436.3 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य वर्षापात के आंकड़े से 38% कम है.
कोयलांचल और संताल में धनरोपनी के आंकड़े
धनबाद : एक जून से 19 अगस्त तक जिले में मात्र 456.4 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है, जो सामान्य वर्षापात से 36% कम है. सामान्यतया इस अवधि तक 717.3 मिलीमीटर बारिश होती थी. कृषि पदाधिकारी सुनील कुमार ने बताया कि जिले में 43 हज़ार हेक्टेयर पर धान की खेती होती है. एक तो बारिश कम हुई, दूसरे समय पर नहीं हुई. फलतः अब तक मात्र 10 प्रतिशत भूभाग पर भी धनरोपनी नहीं हो सकी है.
गिरिडीह : गिरिडीह जिले में अब तक मात्र 377.1 मिलीमीटर बारिश हुई है, जो सामान्य बारिश के आंकड़े 661.3 मिलीमीटर से 43 प्रतिशत कम है. जिला कृषि पदाधिकारी सुरेंद्र सिंह के अनुसार अब तक जिले में मात्र 8% धनरोपनी हुई है. सामान्यतया: यहां कुल 88 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती होती है.
पाकुड़ : पाकुड़ जिले में अब तक सामान्य से 72% कम बारिश दर्ज की गई है. सामान्यतया इस अवधि तक 787.9 मिलीमीटर बारिश होती थी, जबकि अब तक मात्र 217.2 मिलीमीटर ही बारिश दर्ज की गई है. कृषि पदाधिकारी मुनेंद्र दास ने बताया कि यहां धनरोपनी योग्य जमीन 32.24 हज़ार हेक्टेयर है. इस वर्ष अब तक मात्र 7.2 प्रतिशत भूभाग पर ही धनरोपनी हुई है.
दुमका : इस वर्ष अब तक दुमका में मात्र 346.4 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है, जो सामान्य से 51% कम है. सामान्यतया इस अवधि में दुमका जिले में 700.2 मिलीमीटर बारिश होती थी. यहां 1.11 लाख हेक्टेयर भूमि पर धनरोपनी होती है, लेकिन इस वर्ष अब तक एक प्रतिशत भूभाग पर भी धनरोपनी नहीं हो सकी है.
देवघर : देवघर जिले में सामान्य से 55% कम बारिश हुई है. इस अवधि तक यहां 658.9 मिलीमीटर बारिश होती थी. इस वर्ष अब तक मात्र 298.8 मिलीमीटर ही बारिश हुई है. कृषि पदाधिकारी शशांक शेखर ने बताया कि देवघर में 58 हज़ार हेक्टेयर पर धान की खेती होती है, लेकिन अब तक लगभग 2 प्रतिशत भूभाग पर ही धनरोपनी शुरू हो सकी है.
साहिबगंज : साहिबगंज जिले में मानसूनी अवधि में सामान्य से 68% कम बारिश दर्ज की गई है. सामान्यतया अब तक यहां 784.6 मिलीमीटर बारिश दर्ज की जाती थी, जबकि इस वर्ष अब तक मात्र 250.2 मिलीमीटर ही बारिश हुई है. जिला कृषि पदाधिकारी प्रसाद नाथ उरांव ने बताया कि अब तक 14 प्रतिशत भूभाग पर रोपनी हुई है. यहां 49 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती होती है.
जामताड़ा : जामताड़ा जिले में सामान्य से 64% कम बारिश हुई है. यहां इस अवधि में 735.2 मिलीमीटर बारिश दर्ज की जाती थी, लेकिन इस वर्ष अब तक इस अवधि में मात्र 268.3 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है. यहां पिछले वर्ष 52000 हेक्टेयर जमीन पर धनरोपनी हुई थी, मगरअब तक एक प्रतिशत भूमि पर भी नहीं हो सकी है.
गोड्डा : गोड्डा जिले में सामान्य से 69% कम बारिश ही है. सामान्यता इस अवधि में यहां 604.2 मिलीमीटर की जगह अब तक मात्र 186 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है. कृषि विभाग के अनुसार यहां 51,500 हेक्टेयर भूभाग पर धनरोपनी होती थी, लेकिन अब तक मात्र 6 प्रतिशत भूभाग पर ही धनरोपनी हो सकी है.
राज्य के 180 प्रखंड सुखाड़ की चपेट में
झारखंड राज्य के 24 जिलों के 264 प्रखंडों में से 180 प्रखंड कम बारिश की वजह से सुखाड़ की चपेट में है. सूखे की स्थिति का आकलन ड्राट मैनुअल 2016 में निहित प्रावधान के तहत किया गया है. राज्य सरकार के अधिकारियों ने 15 अगस्त तक की रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है, जो बारिश और बुआई की स्थिति का आकलन करने के बाद तैयार की गई है. रिपोर्ट के अनुसार धान के साथ इस वर्ष 31 जुलाई तक दलहन, तिलहन और मोटे अनाज की खेती भी मात्र 37.19% ही हुई है. सौंपी गई रिपोर्ट में इस बार खेती के रिकॉर्ड को पिछले 5 वर्षों में सबसे खराब बताया गया है.
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