Baharagora : बहरागोड़ा प्रखंड में स्वर्णरेखा नदी के किनारे बसे महुलडांगरी और बामडोल के किसान वर्षों से स्वर्णरेखा नदी की धार से हो रहे खेत की मिट्टी के कटाव का दंश झेल रहे हैं. विगत रविवार को आई स्वर्णरेखा नदी में बाढ़ के कारण नदी के पानी के बहाव से महुलडांगरी के पास कमारआड़ा मौजा में नदी के किनारे एक किलोमीटर के दायरे में लगभग 10 मीटर खेत की मिट्टी का कटाव हुआ है. किसानों के मुताबिक इस कटाव से लगभग 20 बीघा खेत नदी में समा गए हैं. इससे किसान काफी चिंतित हैं. कटाव रोकने के लिए बनाए गए तटबंध भी कारगर साबित नहीं हो रहे हैं.
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मिट्टी का कटाव बदस्तूर जारी है
मालुम हो कि नदी की धार से मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए सुरक्षात्मक उपाय के तहत तटबंध बनाया गया है. किसानों का कहना है कि यह तटबंध कारगर साबित नहीं हो रहा है और मिट्टी का कटाव बदस्तूर जारी है. महुलडांगरी के असित पंडा, स्वरूप घोष, दिलीप डंडपात, अरविंद पैड़ा नामक किसानों ने बताया कि यहां हर साल बरसात में नदी के पानी की धार से 20 से लेकर 30 मीटर तक मिट्टी का कटाव होता है और खेत नदी में समा जाते हैं. इस बार भी तेजी से मिट्टी का कटाव हो रहा है. मिट्टी कटाव से लगभग 20 बीघा खेत नदी में समा गए हैं.
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मिट्टी के कटाव से गांव की तरफ बढ़ रही है सुवर्णरेखा नदी
उन्होंने कहा कि कटाव रोकने के लिए बनाया गया तटबंध असरदार साबित नहीं हो रहा है. जिधर तटबंध बना है उधर भी मिट्टी का कटाव हो रहा है. यही हाल रहा तो यहां के खेत नदी बन जाएंगे और किसानों का जीना मुश्किल हो जाएगा. ऐसे में यहां पर बाढ़ सुरक्षात्मक उपाय करने जरूरी हैं. मिट्टी के कटाव से सुवर्णरेखा नदी गांव की तरफ बढ़ रही है. नदी के किनारे निर्मित श्मशान घाट कई वर्ष पूर्व ही नदी में समा गया है.
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