Ranchi: मंगलवार को JSSC रूल्स और नियोजन नीति में संशोधन को चुनौती देने वाली याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मंगलवार की सुनवाई के दौरान अदालत में प्रार्थी रमेश हांसदा की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार ने पक्ष रखते हुए बहस की. अपनी बहस में उन्होंने कहा कि यह संशोधन संविधान के तहत नहीं किया गया है, और यह आर्टिकल 16 के भी विरुद्ध है. लंबी बहस के बाद कोर्ट ने इस मामले की अगली डेट 31 अगस्त को तय की है.
झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की. JSSC की ओर से अधिवक्ता संजोय पिपरवाल और अधिवक्ता प्रिंस कुमार ने अदालत में पक्ष रखा. जबकि प्रार्थियों की ओर से वरीय अधिवक्ता सह पूर्व AG अजीत कुमार, अधिवक्ता अपराजिता भारद्वाज और कुमारी सुगंधा ने पक्ष रखा.
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रमेश हांसदा एवं अन्य ने झारखंड हाइकोर्ट में याचिका दाखिल की है. इसमें राज्य सरकार द्वारा JSSC नियमावली में किये गए संशोधन को गलत बताया गया है, साथ ही इसे निरस्त करने की मांग अदालत से की गई है. याचिका में कहा गया है कि झारखंड सरकार ने नियमावली में संशोधन किया है. जिसके तहत राज्य के संस्थान से ही दसवीं और 12वीं की परीक्षा पास करने वाले छात्र ही नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल हो सकेंगे.
यह नियम सिर्फ सामान्य श्रेणी के छात्रों पर ही लागू होगी. जबकि आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों के मामले में यह आदेश लागू नहीं होगा. वहीं भाषा के पेपर से हिंदी और अंग्रेजी को भी हटा दिया गया है. जबकि उर्दू, बांग्ला और उड़िया भाषा को शामिल किया गया है. इन शर्तों के कारण JSSC के द्वारा नियुक्तियों के लिए जारी विज्ञापन में कई अभ्यर्थी आवेदन नहीं दे पा रहे हैं. इसलिए इस नियमावली को रद्द किया जाना चाहिए.
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