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भगवान बिरसा मुंडा का गांव उलिहातू की हालत दयनीय, घोषणा ही बनकर रह गयी नेताओं के विकास के वायदे

info@lagatar.in by info@lagatar.in
November 15, 2020
in झारखंड न्यूज़, रांची न्यूज़
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Ranchi: भगवान बिरसा मुंडा की 145 वीं जंयती पर देश एवं राज्य में धूमधाम से मनायी जा रही है. सूबे में राज्य स्थापना दिवस और बिरसा जयंती को लेकर कई छोटे-बड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर वीर शहीद बिरसा मुंडा के गांव उलिहातू के विकास के लिए बड़ी-बड़ी घोषणाएं की गयी थी, लेकिन ये घोषणाएं ही बन कर रह गयी
संयुक्त बिहार के समय जब लालू यादव जब मुख्यमंत्री थे तब वे शहीद बिरसा मुंडा के गांव आये थे. तब उन्होंने गांव के सभी लोगों को पक्का मकान देने की घोषणा की थी. लालू यादव की घोषणा भी हवा में ही रह गयी. सरकार द्वारा बनाये गये भवन को छोड़कर आज भी गांव में सभी निजी घर खपड़े के ही है.

अर्जुन मुंडा ने भी गांव के विकास का किया था वादा

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने भी उलिहातू में कई घोषणा की थी जो आज तक पूरा नहीं हुई. अर्जुन मुंडा ने भी गांव के विकास का वायदा किया था. लेकिन वह भी पूरा नहीं हो सका. राजनाथ सिंह भी शहीदों के गांव के विकास की बात कही थी. उलिहातू में अब गृह मंत्री अमित शाह और रघुवर सरकार ने घोषणाओं का अंबार लगा दिया था. जो झूठ का पुलिंदा ही बनकर रह गया.

क्या कहते हैं शहीद बिरसा मुंडा की पांचवीं पीढ़ी के वंशज कन्हैया मुंडा

शहीद वीर बिरसा मुड़ा के पांचवीं पीढ़ी के वंशज कन्हैया मुंडा कहते है कि गांव में शिक्षा की हालत काफी खराब है. रोजगार के नाम पर मनरेगा योजनाओं का कुछ काम जरूर किया गया है. लेकिन पानी नहीं रहने के कारण बेकार पड़े हैं. पीने के पानी की समस्या गांव में आज भी मौजूद है.

एमए पास भगवान बिरसा के वंशज को मिली चपरासी की नौकरी

मधु कोड़ा जब सीएम थे तो गांव के स्कूल में शिक्षक भेजने की बात कही थी लेकिन आज तक स्कूल में शिक्षक नहीं पहुंचे. वहीं उन्होंने शहीद के परिजनों को नौकरी देने की बात कही थी, जो पूरा नहीं किया. भगवान बिरसा मुंडा की चौथी पीढ़ी के वंशज कान्हु मुंडा जो एमए पास है वहीं दूसरे वंशज जो मैट्रिक पास हैं उन दोनों को डीसी ऑफिस में चपरासी की नौकरी दी गयी है. परिजन कहते है कि शहीद के वंशज को नौकरी देने के मामले में शिक्षा की अर्हता को भी ध्यान नहीं रखा गया.
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मोटर खराब होने से नहीं मिल रहा है पानी, चुआं से प्यास बुझाते हैं लोग

रघुवर सरकार की पहल गांव में पेयजल की व्यवस्था की गयी थी. लेकिन दो साल में ही मोटर खराब होने के कारण यह बंद पड़ा है. शहीद के गांव के लोग आज भी डाड़ी चुआं का पानी पीने को मजबूर हैं. इचाडीह और बोकोलडीह टोला में पानी की टंकी लगी हुई है, लेकिन वह शोभा की वस्तु बनकर रह गयी है अब लोग अपनी जरूरत के लिय कुआं और चुआं से प्यास बुझाते है.

रघुवर सरकार ने पक्का मकान देने की घोषणा की थी

रघुवर सरकार के कार्यकाल के दौरान गांव के विकास के लिये बड़ी-बड़ी घोषणाएं की गयी थी. इनमें शहीद के गांव में स्वास्थ्य सुविधा के लिये अस्पाताल का निर्माण, ग्रामीणों को रोजगार से जोड़ने की पहल, गांव के सभी लोगों का पक्का मकान , खेल मैदान का निर्माण आदि की घोषणा की गयी थी. लेकिन यह धरातल पर नहीं उतरा.

अमित शाह ने आवास योजना की भूमि पूजन की थी

17 सितंबर 2017 को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह अपने पूरे लाव-लश्कर के साथ धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के गांव उलिहातू पहुंचे थे.
वहां उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा के परपोते सुखराम मुंडा के आंगन में शहीद ग्राम विकास अंतर्गत आवास योजना के लिए भूमि पूजन किया था. करीब चार साल बाद भी यहां एक दो घर ही बन सके हैं. रोजगार की तलाश में उलिहातू के कई युवा पलायन कर चुके हैं.
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आज भी बदहाली पर रो रहा है शहीद बिरसा का गांव

रघुवर सरकार ने बिरसा मुंडा के गांव के विकास के नाम पर किये गये दावे खोखले साबित हुये है. गांव में विकास के काम के नाम पर कुछ काम जरूर हुए हैं. इसमें किताहातु से उलिहातू तक चकाचक सड़क बनी है.
गांव में अस्पताल बनाया गया है, लेकिन उसमें एक भी प्रसव आज तक नहीं हुआ. पेयजल के लिये गांव में पानी टंकी का निर्माण किया गया है. साथ ही गांव की मुख्य सड़क के किनारे रंग-बिरंगी ईंटें लगायी गयी हैं. जो आज बिखरे हुये नजर आते है. गांव में शौचालय का निर्माण किया गया है, लेकिन पानी के अभाव में बेकार पड़े हैं. आवास योजना के तहत कुछ घरों का निर्माण हाल के दिनों में शुरू हुआ है, लेकिन एक भी पूरा नहीं हुआ है.
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अब मीडिया से भी बात करने में कतराते हैं गांव के लोग

उलिहातू भगवान बिरसा के जन्मस्थल के रूप में जाना जाता है. झारखंड गठन के पहले से ही इस गांव के विकास की बात सरकार करती रही हैं, लेकिन कई सरकार आयीं और गयीं. यहां विकास के दावे खोखले ही सबित हुए. बता दें कि उलिहातू चार टोले में बंटा गांव है, जिसमें पीड़ीटोला, इंचाडीह, बोकोलडीह और गामाडीह टोले हैं. गांव के चारों टोले में लगभग 200 मुंडा परिवार के पूर्ती गोत्र के लोग रहते हैं. उलिहातू के ग्रामीण अब मीडिया से बात करने में रूचि नहीं रखते इसके पीछे उनकी पीड़ा और विकास के खोखले दावे की प्रताड़ना स्पष्ट दिखायी देती है.

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