Surendra Soren
Ranchi : झारखंड अलग राज्य की मांग को लेकर पांच दशकों से अधिक वक्त तक चले आंदोलन के बाद भी आंदोलन की लौ बुझी नहीं है. झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा के तत्वावधान में राज्य के स्थापना दिवस व भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर उपवास पर बैठे है. झारखंड आंदोलनकारी अपने-अपने जिलों और प्रखंडों में महापुरुषों के प्रतिमा के समक्ष उपवास किया और आंदोलनकारियों को मान-सम्मान, पहचान, पेंशन एवं सभी राजकीय सुविधाएं देने की मांग की. उपवास कार्यक्रम के आरंभ में दिवंगत आंदोलनकारी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके के लिए दो मिनट का मौन धारण किया गया.
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मोर्चा ने लोहरदगा के सुका टाना भगत, तलत महमूद, बोकारो के राजेंद्र महतो, रांची के वसीर अहमद, गुमला की निर्मला सिन्हा एवं गिरिडीह के अखिल चंद्र महतो को याद किया. प्रखंड एवं जिला स्तर से झारखंड आंदोलनकारियों ने अपने 14 सूत्री मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र भी भेजा है.
4 हजार आंदोलनकारी चिन्हित, चंद को मिला पेंशन और सम्मान
आंदोलनकारियों के मुताबिक राज्य में लगभग 70 हजार आंदोलनकारी हैं, जिनकी छोटी या बड़ी भूमिका राज्य गठन में रही है. 2012 में अर्जुन मुंडा के मुख्यमंत्रित्व काल में झारखंड, वनांचन, जेपी आंदोलनकारी चिन्हितीकरण आयोग का गठन किया गया. पूर्व जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद को आयोग का चेयरमैन बनाया गया और आधिकारिक रूप से यह पहली प्रयास थी आंदोलनकारियों के चिन्हितीकरण कर उन्हें सम्मान, पेंशन, उनके परिजनों को सरकारी नौकरी, चिकित्सीय सुविधा अथवा अन्य सुविधा देने की पहल शुरू हुई. इसमें दो तरह के कैटेगरी तय किये गये. एक जो आंदोलन के दौरान पुलिस की गोली से शहीद हुए या जेल गये. दूसरी कैटेगरी थी जो आंदोलन में सक्रिय रहे, लेकिन जेल नहीं गये.
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फरवरी 2020 से आयोग का पद है खाली
झारखंड, वनांचन, जेपी आंदोलनकारी चिन्हितीकरण आयोग के पद पिछले 10 माह से खाली है. आयोग के पूर्व सदस्य देवशरण भगत बताते हैं कि 50 हजार से अधिक आवेदन लंबित हैं. उनका मानना है कि अबतक किसी भी सरकार में आंदोलनकारियों के मसले को प्राथमिकता की सूची में नहीं रखा गया. आयोग का गठन भी हुआ तो ना वहां पर्याप्त स्टॉफ दिए गए और ना ही अधिकारी की व्यवस्था की गयी. यहां तक की आयोग को राशि और अन्य सुविधा भी नहीं मिल पाये. पिछले कुछ माह से आंदोलकारियों का पेंशन भी बंद है.
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परिकल्पित झारखंड के लिए होगा उलगुलान
ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) के संस्थापक सह झारखंड पीपुल्स् पार्टी (जेपीपी) के केंद्रीय अध्यक्ष सूर्य सिंह बेसरा ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि परिकल्पित झारखंड के लिए अगले वर्ष आंदोलन शुरू किया जायेगा. उन्होंने कहा है कि ” परिकल्पित झारखंड राज्य ” का तात्पर्य वर्तमान झारखंड राज्य केवल बिहार राज्य से “छोटानागपुर और संतालपरगना ” ही अलग हुई है, अब भी पश्चिम बंगाल राज्य के मिदनापुर पुरूलिया बाँकुड़ा, ओड़िशा राज्य के मयूरभंज क्योंझर सम्बलपुर सुंदरगढ़ तथा छत्तीसगढ़ राज्य के सरगुजा और रायगढ़ जिले शामिल है. यह परिकल्पित झारखंड राज्य चार राज्यों के सीमावर्ती क्षेत्रों को मिलाकर बनेगी, जो ” झारखंडी जातीयता ” अर्थात सांस्कृतिक दृष्टिकोण से एक रूपता एवं अविभाज्य भौगोलिक क्षेत्रों से रेखांकित है. आंदोलन के तहत मार्च 2021 में दिल्ली चलो, अप्रैल 2021 में धरना प्रदर्शन, मई 2021 में रेल- रास्ता रोको और जून 2021 में आर्थिक नाकेबंदी का आयोजन किया जायेगा.