बड़ी सख्त जान है हिन्दी की. पूरे साल हम कितना इसे खत्म करने की कोशिश करते हैं फिर ज़िंदा हो...
Read moreआहटों का बड़ा महत्व होता है. कवियों शायरों ने आहटों पर अपनी कलम तोड़ दी है. कदमों की आहट सुन...
Read moreAshok Priyadarshi कृष्ण की पटरानी तो रूक्मिणी थीं, पर कृष्ण के साथ जो नाम...
Read moreNeeraj Neer अगस्त माह बीतने वाला है, शीघ्र ही हम सितंबर में प्रवेश कर जायेंगे. सितंबर माह भाषा के नाम...
Read moreUN : अफगानिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र की दूत रोजा ओटुनबायेवा ने बुधवार को देश के तालिबान शासकों को आगाह...
Read moreRatan Verma भारत पहुंच गयी है श्रद्धा. पूरे सात वर्ष बाद. एक लंबे अंतराल के बाद श्रद्धा की मुलाक़ात मां-बाबूजी...
Read moreNeeraj Neer साहित्यिक और सांस्कृतिक रूप से उर्वर झारखंड की भूमि पर साहित्यिक कार्यक्रमों का निरंतर आयोजित होना राज्य के...
Read moreArun Kamal अरुण कमल समकालीन कविता के एक सशक्त हस्ताक्षर हैं. प्रगतिशील विचार धारा के प्रखर कवि हैं जिनकी कविताओं...
Read moreKameshwar Prasad Shrivastava कविता को मनुष्यता का पर्याय कहा जाता है. कविता का धरातल मानवीय करुणा का धरातल है. इस...
Read moreWalter Bhengra Tarun रिटायरमेंट के पहले ही उन्होंने खूंटी में लोकेशन देखकर अपने लिए दस डिसमिल जमीन खरीद ली. मकान...
Read moreNirmala Putul तुम्हारे डिक्शनरी से हटते क्यों नहीं पर, किंतु, परंतु जैसे कई बड़े-बड़े शब्द कलम चलाते चलाते अक्सर रूक...
Read moreBarbarik विश्व पुस्तक मेले के समय से जो लोकार्पण सुख के रस में ऊभचूभ कर रहा हूं वह अनिर्वचनीय है,...
Read moreSatya Sharma Kirti मुझे आज भी याद आते हैं, बचपन के वो दिन जब घर के आँगन में बैठ कर...
Read moreAmarnath Pathak कभी आंगन में फुदकते हैं, कभी खिड़कियों पर कलरव करते हैं, शहर में हम कहां जाएं, प्रदूषण, तापमान...
Read moreRakesh Kumar Singh हिंदी कथा साहित्य में विषय-वैविध्य का प्रश्न किसी हद तक अपने गिरेबान में झांकने जैसा है. अपने...
Read moreAnita Rashmi हर मन वर्तमान के साथ आगत-विगत में उलझता ही है. अवसर किसी पर्व का हो, तो और भी...
Read moreVidyabhushan दोस्तो, खोज और खाज दोनों एक ही मर्ज के काज हैं. फिलहाल मैं भी एक खोज-खाज में लगा हूं,...
Read moreNaresh Banka शुभकामना मित्र ने होली की शुभकामनाएं इस प्रकार दी – शुभ काम ना… और कहने लगा होली में...
Read moreVeena Srivastava पति रूठा जो रहता है, ज्वाला सा भड़कता है कर लो थोड़ा सा मनुहार, दिल के खिलने का...
Read moreKavita vikash कई दिनों से देख रही थी कि सामने वाले मकान में सफाई हो रही थी. मेरी बालकोनी से...
Read moreVandana Tete भाषाओं के लुप्त होने, उनके खतरे की बात लंबे समय से की जा रही है. अपनी मातृभाषा खड़िया...
Read moreMahadev Toppo जब भी युवा पीढ़ी की तरफ देखता हूं, अपनी मातृभाषा कुड़ुख को लेकर बेहद आशावान हो जाता हूं....
Read moreDr. Kumari Basanti भाषा मानव की जीभ है. जीभ के द्वारा ही मनुष्य भावों, विचारों, चेतना, संस्कृति और जीवन दर्शन...
Read moreWalter Bhengra Tarun वर्तमान प्रतिस्पर्धा के युग में प्रगतिशील आदिवासी समाज के सामने मातृभाषा को लेकर एक समस्या आ खड़ी...
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