Ranchi : बीएयू में संचालित शोध कार्यक्रमों की अखिल भारतीय समन्वित चारा फसल शोध परियोजना (आईसीएआर) के दल ने दो दिनी समीक्षा पूरी की. इस दो सदस्यीय समीक्षा दल में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के प्लांट ब्रीडर डॉ. सुनील वर्मा एवं भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी एग्रोनोमिस्ट डॉ मुकेश चौधरी शामिल थे.
चारा फसल अनुसंधान फार्म के प्रायोगिक प्लांट का निरीक्षण
आईसीएआर दल ने बीएयू स्थित पशु चिकित्सा संकाय के चारा फसल अनुसंधान फार्म के हरेक प्रायोगिक प्लांट का गहन निरीक्षण किया. खेतों में खरीफ चारा फसलों में दीनानाथ घास, बाजरा, मकई, बोदी, नेपियर एवं राइस बीन के प्रायोगिक प्लांट को बारीकी से देखा, जरूरी जानकारी को जाना और आवश्यक सुझाव दिये. दल को परियोजना अन्वेषक एवं प्लांट ब्रीडर (चारा फसल) डॉ योगेंद्र कुमार एवं सह परियोजना अन्वेषक एवं एग्रोनोमिस्ट (चारा फसल) डॉ. वीरेंद्र कुमार ने खरीफ चारा फसलों के शोध कार्यक्रमों में वेरायटल ट्रायल एवं शस्य तकनीकी ट्रायल तथा प्रत्यक्षण एवं प्रशिक्षण से जुड़ी जानकारियों को साझा किया. वेरायट ट्रायल एवं शस्य तकनीकी ट्रायल के प्रदर्शन से अवगत कराया एवं भावी शोध कार्यक्रमों पर चर्चा की.
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पशुधन की जनसंख्या में 1.23 प्रतिशत की दर से हो रही वृद्धि
आईसीएआर दल ने दीनानाथ घास की विभिन्न किस्मों के प्रायोगिक ट्रायल के प्रदर्शन की सराहना की. बेहतर प्रदर्शन करने वाली किस्मों को बढ़ावा देने पर बल दिया. दल ने कहा कि देश में पशुधन की जनसंख्या में 1.23 प्रतिशत की दर से हो रही वृद्धि है. जिसे देखते हुए चारा फसल की मांग और आपूर्ति के अंतर को दूर करने के लिए खरीफ, रबी एवं वर्ष भर चारा फसल की खेती तकनीक को बढ़ावा देने की जरूरत है.
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