Arun Kumar Yadav
Garhwa : कभी हड़िया-दारु बेचकर किसी तरह गुजारा करने वाली शारदा देवी आज खुश है. शारदा देवी के जीवन में यह खुशहाली लक्ष्मी आजीविका सखी मंडल और फूलो-झानो आशीर्वाद योजना से आई है. शारदा देवी गढ़वा जिला मुख्यालय से 7 किलोमीटर दूर बीरबंधा गांव की रहनेवाली है. वह बताती हैं कि कभी हड़िया-दारु बेचकर किसी तरह गुजारा करते थे. परिवार चलाना मुश्किल था. एक टाइम खाते थे तो दूसरे टाइम के लिए सोचना पड़ता था. हड़िया-दारु बनाने और बेचने में आत्मग्लानी भी महसूस होती थी, मगर क्या करें, कोई रास्ता नहीं दिखता था.

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इसी बीच गांव में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत लक्ष्मी आजीविका सखी मंडल का गठन किया गया. वह भी उससे जुड़ गई. कुछ पैसे बचाकर उसमें जमा करने लगी. सखी मंडल से लोग लेकर छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने लगी. इसी बीच इसी बीच में झारखंड सरकार के फूलो-झानो योजना की जानकारी मिली. योजना के तहत गांव के वैसे लोगों का सर्वे किया गया जो हड़िया-दारु बेचकर अपना जीवन यापन करती थी. इस सर्वे में शारदा देवी का नाम भी आया. इसके बाद JSLPS के कर्मचारियों एवं सखी मंडल की दीदियों के द्वारा उन्हें जागरूक कर इस काम को छोड़ने के लिए प्रेरित किया गया. साथ ही इसके बदले में इस अभियान के तहत मिलने वाली राशि से नए गतिविधि शुरू करने के लिए बताया गया. योजना के तहत शारदा देवी को JSLPS के द्वारा 10 हज़ार रुपये उपलब्ध कराया गया. इस पैसे से शारदा देवी ने बकरी पालन शुरू किया. आज शारदा देवी बहुत खुश है और अच्छे से अपना और अपने परिवार का भरण पोषण कर रही है. योजना से जुड़ने के बाद लगातार उनके आय में वृद्धि हो रही है. शारदा देवी पूरे गांव के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गई है. शारदा देवी का सपना है कि गांव की कोई भी महिला हड़िया-दारू न बेचे. महिलाएं सखी मंडल से जुड़े और अपना तथा परिवार का विकास करे.
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