Dinesh Kumar Pandey
Bokaro : हेमंत सरकार कहते नहीं थक रही है कि राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था काफी अच्छी है. यहां हर गरीब का मुफ्त में इलाज हो रहा है. लेकिन सच्चाई कुछ और बयां करती है. बोकारो जिले के चास मेन रोड मछली पट्टी का रहने वाला शंभू धीवर अपने टूटे पैरों का इलाज कराने के लिए दर-दर भटक रहा है. शंभू तीन दिनों से सदर अस्पताल के मुख्य गेट और सिविल सर्जन कार्यालय के चक्कर काट रहा है. (पढ़ें, प्रेम प्रकाश उर्फ PP, पंकज मिश्रा और बच्चू यादव के केस में ED कोर्ट ने लिया संज्ञान)
स्वास्थ्य विभाग से मदद की लगायी गुहार
शंभू धीवर विवश और लाचार है. उसके पास इलाज के लिए पैसे नहीं हैं. पैसे नहीं होने के कारण उसे अस्पताल से बिना इलाज किये भगा दिया जा रहा है. शंभू धीवर के माता पिता इस दुनिया में नहीं हैं. उसने स्वास्थ्य विभाग से मदद की गुहार लगायी है.
शंभू धीवर ने बताया कि कुछ दिनों पहले लोगों ने उसके साथ मारपीट की थी. जिसकी वजह से उसके दोनों पैर टूट गये थे. उसने बताया कि स्थानीय लोगों ने 108 एंबुलेंस को बुलाकर उसे बोकारो सदर अस्पताल भेज दिया. लेकिन सदर अस्पताल ने उसे बेहतर इलाज के लिए शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल धनबाद भेज दिया.
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पीड़ित को डंडे से मारने की बात कहकर अस्पताल से निकाला बाहर
3 सितंबर को शंभू धीवर के पैर के इलाज करने की बात कही गयी. डॉक्टरों ने उसे प्लास्टर सहित अन्य इलाज के लिए सामान बाहर से मंगवाने के लिए कहा. लेकिन उसके पास पैसे का अभाव रहने के कारण उसका इलाज नहीं हुआ. पीड़ित का कहना है कि उसे डंडे से मारने की बात कहकर अस्पताल से निकाल दिया गया. जिसके बाद वो फिर से बोकारो सदर अस्पताल का चक्कर लगा रहा है. पीड़ित ने लगातार डॉट इन से बात करते हुए कहा कि वो इसकी शिकायत उपायुक्त से करेंगे. लेकिन डीसी उससे मुलाकात करें या नहीं करेंगे. यह पता नहीं.
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